जो संसार से दुत्कार दिए जाते हैं,
वो श्मशान में सम्मान पाते हैं.!!
जय महाकाल 🙏
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सत्य का सामना कीजिये
इस झूठ की दुनिया में ईश्वर सत्य है
बाकी सब झूठ......
सत्य के पक्ष में हमेशा रहिये...
सत्य का दामन कभी मत छोड़िये
संसार में अपनी मान प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए न जाने कितने लोग झूठ बोलते है...
पर सच के अपने रास्ते है बाहर आने के इसलिए सच को झूठ के पैमाने में कभी मत तोलिए...
चाहे लाख कठिनाइयां आये रास्ते में
डट कर मुकाबला कीजिये....
सत्य कर देता है बुलंद हौसलों को
ना जाने कितना फरेब है जमाने में
मत डरिये संघर्ष करने से सत्य का रास्ता
ही ले जाएगा सफलता की ओर....
नकारात्मकता लाख खींचे चाहे अपनी ओर...
सफलता की रोशनी मचा देगी संसार में शोर......
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ये जो शून्य में तांकते हो
बार बार झांकते हो
ये जो तिमिर तुम्हे घेरता है
बार बार झंजोड़ता है
गहराईयों में अंध की
भीतर के द्वंद्व की
निराशाओं की पीर को
बाधाओं के नीर को
आशाओं की ज्वाला जो
आकांक्षाओं की अग्नि वो
क्षण क्षण तुम्हे बदलती है
पल पल तुम्हे निगलती है
क्या राह कोई और है
इस पीर से जो दूर है
क्या मल्लाह इस नाव का
मौजूद इस भीड़ में है?
या तुम खुदी वो नाव हो
तुम ही वो मझधार हो
नीर तुम पीर तुम
तुम ही सूत्रधार हो
शून्य हो अनंत भी तुम
अंध भी और प्रकाश हो
आदि हो अंत भी
तुम सत्ता का सार हो
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मै चाहती हूँ धरा पर आए
एक दिन, जब नष्ट हो जाए
वो जातियाँ धर्म मज़हब सब
ना मन में द्वेष दिखे ना ही ज़हन में गंदगी
वो भेद रंग- रूप का सब
घुल जाए खारे समन्दरो में कहीं
भाषाएं सारी उड़ जाए हवा में मिलकर
मन दुखी कर रही ये असमानता जल जाए
ग्लोब पर बनी ये टुकड़ों की सीमाएं धुल जाए
संसार में फिर इंसान दिखे... श्वास लेते हुए
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मेरे चंदा अब हो गया है संसार बिल्कुल गंदा
छलनी करके जिस्म कहता है ख़ुदा का बंदा-
इन्सान ने ख़ुद को हर बार बदल लिया
सबके कहने पर किरदार बदल लिया
ज़िन्दगी जो मिली है इसको छोटी सी
इतनें में ही अपना संसार बदल लिया
वक़्त ने क्या क्या नहीं दिखाया इसको
दो रोटी के लिए ही घर बार बदल लिया
तोहमतें हज़ार मिली पीठ पीछे इसको
गुनाह के डर से कारोबार बदल लिया
रंजिशों का बाज़ार है हर तरफ़ इसके
दूसरों के कहने पे पहरेदार बदल लिया
मज़हबी रंजिशें देख दुखी हो सच बताना
लोगों नें ख़ुद ही अब जिम्मेदार बदल लिया
सबका होकर ही रहा हर लम्हा "आरिफ़"
दोस्ती की ख़ातिर हिस्सेदार बदल लिया
"कोरा काग़ज़" बनकर रहा ज़िन्दगी भर
इंसानियत की ख़ातिर मज़ार बदल लिया-
सब बेगाने हैं कोई अपना यार नहीं है
दो कदम साथ दे ऐसा दिलदार नहीं है
लोग मिलते हैं बिछड़ जाते हैं अक़्सर
क्या करूँ किसी पर अब ऐतबार नहीं है
ज़िन्दगी बदल जाती है वक़्त की मार से
सबके ज़ख्म भर सके ऐसा संसार नहीं है
लापरवाह होना कोई गुनाह नहीं कभी-कभी
गुनाह इसलिए हुए क्योंकि मेरा घर-बार नहीं है
मुश़्किल वक़्त में अपने भी साथ छोड़ जायेगें
सबसे धोखा मिला इससे अच्छी यादगार नहीं है
गिरकर नहीं संभला तो क्या उठेगा "आरिफ़"
हाथ पकड़कर उठाना किसी का व्यापार नहीं है
"कोरे काग़ज़" जैसी ज़िन्दगी जीते रहो हर पल
तुम्हारी कलम को छाप सके ऐसा अख़बार नहीं है-
प्यार के गर्भ में पलता समर्पण
जिससे जन्म होता है
विश्वास का और
बनते है रिश्ते
उम्र भर के
जो जुड़ते
है एक सच्ची
डोरी से और होता है
पूरा ये बागवान फिर होता है
मिलन दो आत्माओं का जिससे
खिलती हैं नयी कोपलें और बन जाता है पूरा संसार
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