जो तुमसे देखी भी न जाए
हमने वो ज़िंदगी गुजारी है
वो पूछते है हम गलत क्यों हुए
तो हमने यह पूछा ये सही गलत के दायरे क्या है
क्या पता मेरी नजर में जो सही हो
वही तुम्हारे खयाल में गलत
नजर सबकी एक हो पर नज़रिया अलग अलग
वक्त की मार है ये 'पल्लवी'
कुछ नज़रिए गलत होकर भी सही हो जाते है
और कुछ इंसान सही होकर भी गलत।।
कहते हो तुम ज़िंदगी आसान नहीं
हम कहते है जो आसानी से कट जाए
वो ज़िंदगी नही।।
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