शब्द तो वही थे
बस अर्थ बदल गये थे
ठोकर खायी थी हमने
अब हम संभल गये थे-
बुरी बात ये नही है कि मैं बदल गया हूँ
बड़ी बात ये है कि मैं संभल गया हूँ ।-
ये धोखे का ज़हर किस-किस को चखाओगी ?
इश्क़ दरिया है और किस-किस को डुबाओगी?-
आकर आहें कट जाए
यूँ बिखरी हुई रूह हमारी जैसे सिमट जाए
तुम्हारे दिल पर हाथ रख कर हम सो जाए
अपना नाम सुनते ही धड़कनों को चैन हो जाए
जो ख़ाली रह गया था वो कोना भर जाए
मिलके गले तुझे ख़ुशी से कहीं हम न मर जाए-
हर दिन उसे मेरे सपनों में आना होता है!
हर पल उसे मेरा चैन चुराना होता है!
सुनकर भी उसकी दो कड़वी बातें
रोज़ उसे मेरे ख्यालों में आना होता है!
थोड़ा संभल जा ऐ दिल ,
यहाँ सब अपने नहीं होते
अपना बनाकर छोड़ जाना
यहाँ सबको आता है |
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संभल के चल..
संभल के चल नादान
यहाँ हर कदम पे धोखा है..
कुछ दिन का साथ
फिर तू भी ग़ैरोंका का हिस्सा है..
ये रब को भी आजमाते है
तू तो बस एक इंसान है..
जज़्बात अपने काबू में कर
यहाँ दिल एक खिलौना है..
तू अनजान है पर
तुझे सारा जहाँ देखता है..
तू एक गलती करे
इसलिए सदिशों का घेरा है..
गैर तो गैर
उसने अपने भी शामिल है..
संभल के चल नादान
ये मतलब की दुनिया है..-
एक बार सुन लेते मेरे बात,
तो यकीनन हमारा जिंदगी बदल जाता,,
चाहे आता लाख जिंदगी में मुसीबत,
फिर भी जिंदगी संभल जाता।।-
तुम जो बदल गए,
तो हम संभल गए।
कभी जो चलते थे साथ में,
अब अपने रास्ते निकल गए।-
सुनो तुमसे कहा रहा हूं...
मुझसे गर..
नफ़रत है करनी शिद्दत से करना,
और
दोस्ती है करनी थोड़ा संभल के करना,
जरा सा भी चुके प्यार हो जाएगा।-