मैं मौन रहूं, मन शोर करे,
बस ये ही हलचल कब से है।
मै कुछ ना कहूं, मन सब कुछ सहे,
अब ये ही छल इस दिल से है।
सब कुछ था सहा, इस आशा में,
कि अच्छा आने वाला कल होगा।
पर अब तो ऐसा लगता है कि,
मेरा कुछ ना कहना भी विफल होगा।
अब क्यों चुप रहूं, और यूं ही सहूं,
जब पता हो कि आगे क्या होगा।
कुछ खुद की करूं, और मन की सुनूं,
देखा जाएगा जो कल होगा।
क्यों मौन रहूं, जब मन शोर करे,
ना कोई हलचल अब से है।
मै सब कुछ करूं जो मन ये कहे,
अब ना कोई छल इस दिल से है।
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