अपनी खुशियों से व्यर्थ बगावत कर बैठा,
मतलबी से प्रकाश मैं शिकायत कर बैठा।-
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ख़्वाब में मिलकर तुमसे साथी मैं मुस्कुरा लेता हूं,
हक़ीक़त की ज़िंदगी को इस तरह मैं बिता लेता हूं।-
नफ़रत की थाली में रखे ज़हर को भी चख लेता हूं,
हां प्रकाश मैं मन की बात को मन में ही रख लेता हूं।-
कब क्या से क्या हो जाए
प्रकाश भला यहां किसे पता है।
ये अनबन ये गलतफहमी
विशेष प्रकार की मूर्खता है।
अगर तुम्हारे कारण आती है
किसी के चेहरे में मुस्कान।
तब तुम धन्य हो और
इंसानों में हो विशेष इंसान।
किसी के खुशियों का
प्रकाश तुम कारण बनो।
समस्या बहुत है दुनिया में,
समस्याओं का निवारण बनो।
पता करो किसके दिल में
खुशियों का काफ़िला लापता है।
कब क्या से क्या हो जाए
प्रकाश भला यहां किसे पता है।-
बनना
और बिगड़ना
ख़ुद के
हाथ में होता है।
मां बाप के
विश्वास को
बनाए रखना
मां बाप से
सच्चा प्रेम
करना होता है।-
मैं किसी को चेहरे से
अच्छा या बुरा
नहीं कहता।
चेहरे से तो यहां
हर कोई अद्वितीय है।
खूबसूरत
तो यहां वे हैं
जिनके संस्कार
और स्वभाव अच्छे हैं।
बाकी जिनके
संस्कार और स्वभाव
अच्छे नहीं हैं
उनके रंग और रूप
जैसा भी हो
कुरूप केवल वही हैं।-
बंजर भूमि से
लहलहाते फ़सल
पाने की उम्मीद
खुद के साथ
छल करना है।
उसी तरह
बंजर हृदय से प्रेम।-
क़दम सही दिशा में है,
अर्थात् संभल गए हो तुम।
लोग बदल कर ही कहते हैं
प्रकाश बदल गए हो तुम।-
इन आंखों से
आंसू नहीं
बल्कि
गिर रहे हैं
वे सभी ख़्वाब
जिसे
मैंने देखा था
सिर्फ़
तुम्हारे लिए।-