मैं किसी को चेहरे से
अच्छा या बुरा
नहीं कहता।
चेहरे से तो यहां
हर कोई अद्वितीय है।
खूबसूरत
तो यहां वे हैं
जिनके संस्कार
और स्वभाव अच्छे हैं।
बाकी जिनके
संस्कार और स्वभाव
अच्छे नहीं हैं
उनके रंग और रूप
जैसा भी हो
कुरूप केवल वही हैं।-
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बंजर भूमि से
लहलहाते फ़सल
पाने की उम्मीद
खुद के साथ
छल करना है।
उसी तरह
बंजर हृदय से प्रेम।-
क़दम सही दिशा में है,
अर्थात् संभल गए हो तुम।
लोग बदल कर ही कहते हैं
प्रकाश बदल गए हो तुम।-
इन आंखों से
आंसू नहीं
बल्कि
गिर रहे हैं
वे सभी ख़्वाब
जिसे
मैंने देखा था
सिर्फ़
तुम्हारे लिए।-
आज देख रहा था
देर तक दर्पण
विश्वास करना कठिन है
पर उसमें मेरा नहीं
मुझे नज़र आ रहा था
तुम्हारा चेहरा।-
धरती और आसमान
मिलते हैं क्षितिज में।
किसी का किसी से दूरी
कई बार आंखों का
धोखा होता है।
मैं तुमसे दूर नहीं हूं,
वो जिसे एहसास कहते हैं
उसमें हर पल हम साथ हैं।-
हम समझते हैं,
उन आदिमानवों में
समझ बहुत कम थी।
फिर भी वे अपने तन को
ढंक लेते थे
पेड़ पौधों की
पत्तियों और छालों से।
आज के इंसान
अंग प्रदर्शन को दे दिए हैं
फ़ैशन का नाम,
सोचता हूं उनमें समझ
कहां तक है।-
उसके एक एक शब्द से
घुलने लगती है
रस
मेरी नीरस जिंदगी में।
मुझे उसकी हर एक बातें
महौषधि लगती है।-
साधक अपने आराध्य को
निहारता है
और पाता है अपार सुख।
मैं सुकून पाने के लिए
निहारता हूं तुम्हारा चेहरा।
साधक को उतना
अपने आराध्य से
प्रीत नहीं होगी
जितना प्रीत मुझे तुमसे है।-
चंदा मामा
अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं करता।
मार्ग की बाधाओं का
सामना मुस्कराकर करता हैं।
और एक दिन प्राप्त कर लेता है
पूर्णता।
शिकायत करने वाले
पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकते।-