जो मेरे हाथ में आता है उसे मैं संभाल नहीं पाता हूं,
देखकर अपना नसीब प्रकाश मैं यूं ही मुस्कुराता हूं।-
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क्यों किसलिए नहीं जानता,
मगर तुम्हें गम के पास नहीं देख सकता।
खुद को देख सकता हूं मैं,
मगर तुम्हें कभी उदास नहीं देख सकता।-
कुछ लोगों से मिलना सच में इत्तेफ़ाक होते हैं,
वे अपनापन जताते हैं मगर वे मज़ाक होते हैं।-
पता नहीं प्रकाश कैसा मेरा स्वभाव हो गया था,
एक उससे हद से ज्यादा मुझे लगाव हो गया था।-
कांटों से दोस्ती है फूलों की फितरत जानता हूं,
मैं प्रकाश हूं प्रेम फ़रेब और नफ़रत जानता हूं।-
न हम टूटते हैं और न हम प्रकाश चकनाचूर होते हैं,
बस हम सच बोलते हैं इसलिए लोगों से दूर होते हैं।-
कहते हो प्रकाश क्यों वो पास नहीं आती है,
क्योंकि..... खुशियां मुझे रास नहीं आती है।-
अपनी खुशियों से व्यर्थ बगावत कर बैठा,
मतलबी से प्रकाश मैं शिकायत कर बैठा।-
ख़्वाब में मिलकर तुमसे साथी मैं मुस्कुरा लेता हूं,
हक़ीक़त की ज़िंदगी को इस तरह मैं बिता लेता हूं।-
नफ़रत की थाली में रखे ज़हर को भी चख लेता हूं,
हां प्रकाश मैं मन की बात को मन में ही रख लेता हूं।-