कहा भयौ, जौ बीछुरे, मो मन तोमन-साथ।
उड़ी जाउ कित हूँ, तऊ गुड़ी उड़ाइक हाथ।।-
शुभ घड़ी आयी है।
छाई तरुणाई है।
सूरज के अंगना में,
बजी शहनाई है।
दिन के ये बारजे,
देख धूप से सजे,
नया रंग ढंग लिए,
नयी सुबह आयी है।
धन और धान्य बांट,
रोग शोक दुःख काट,
पीत शीत की न पड़े,
कहीं परछाईं है।
ठण्ड को समेटने,
संकरात आई है।
अंजलि राज-
तिल का लड्डू
खिचड़ी पे बनाती
माँ याद आयी
नारंगी ठंड
गाजर का हलुआ
माँ याद आयी
हरी मटर
घुघनी ओ निमोना
माँ याद आयी
गर्म स्वेटर
बुनती उंगलियाँ
माँ याद आयी
कुम्भ का मेला हे! गंगा मैया
दारागंज प्रयाग जनवरी महीना
माँ याद आयी माँ याद आयी...
-
तिल दे दी अग्नि को
औऱ सेंक लिए हाथ
तिल के साथ ही तिलांजलि दे दी बुरी चीज़ों को
हाँ दुख को भी
दान पात्र में कुछ पैसे भी रखे
पाप तो धुल गए होंगे ही
सुबह आखिर गंगा स्नान भी किया था जो
अच्छा जरा हो आते हैं वृद्धाश्रम
मिल आते हैं माँ-बाबूजी से भी
ले लेंगे उनसे तिल अक्षत हाथों में
कसमें भी खानी है तिल तिल कर आपकी सेवा करेंगे
संक्रान्ति सम्पन्न हो गयी
हम संस्कृति कैसे मिटने दे भला..!
-
सुगंध...
मनमोहक आती है तुमसे,
जैसे कोई इत्र हो तुम,
तुम्हारे गालो का तिल,
और होटो का गुड़,
आज मिल गया मुझें..
मेरे लिए तो मानो मीठा-मीठा,
संक्रांति का त्योहार हो गया है..!-
सौभा्ग्याच कोरून गोंदण
अंगभर ल्याले
हळदी कुंकवाच तेज💥
माझ्या ललाटावर कोरले..
हिरवा चुडा करी किणकिण
काकनांचा साज
ठसठसित जोडवी देती
मला सुवासिनींचा बाज....
गळा बांधून मनी नी डोरल
त्याच दिवशी अहोंनी
चिरंजीवी सौभाग्य माझ्या
भालावरती कोरल....
अखंड सौभाग्य नांदो
जीवनी मिळो सन्मान
हाच असेन मला या सक्रांतीचा आहेर नी
हेच माझे पुण्यतीर्थ सौभाग्य दान
माझ्या करुणाकराकडुन...
14.01.2020.,📝✍️
भोगी व संक्रातीच्या सौभाग्यमयी शुभेच्छा
सौ.कल्पना रमेश हलगे..वानरे❤️❤️
-
पतंग
की भांति ऊंचे
ख्वाब, साथ हो स्वजनों
का हाथ, आत्मविश्वास की डोर
सहारे, छू सकते हैं आसमां की कोरे,
एकाग्रता से ध्येय कर, लक्ष्य से
ही स्नेह कर,ऊंची उड़ान
संभव हैं, उस उड़ती
पंतग की भांति
🔷🔷
🔺
💤
💤
💤
©Mridula Rajpurohit ✍️
-