Ankita   (©Ankita)
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Joined 17 April 2017


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Joined 17 April 2017
27 JAN AT 2:50

लिखेंगे किताब एक दिन हम भी
ज़िन्दगी के पन्ने तो नए होने दो!

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24 NOV 2024 AT 15:33

जीने वीने की ये बातें
हँसने रोने की सौगातें
सब बातें हैं
क्या मतलब है?

कोई गया है कोई यही है
कोई है सबकुछ
कोई कुछ भी नही है
पर सब बातें है
महज बातें है
इन बातों का क्या मतलब है?

किसी का जीवन प्रेम है
कोई खालीपन से भरा है
कोई एकाकी सा ही सुखी है
इन बातों का क्या मतलब है?

हम सोचे तो हजार है बातें
ना सोचे तो सब बेमानी
जीवन एक ऐसी ही शय है
कभी है सब तो कभी बेमानी

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19 NOV 2024 AT 10:31

तुम जब हंसते हो
मैं बेहद खुश हो जाती हूं
मुझे तुम्हारे हंसने का कारण पता नहीं होता
मैं जानना भी नहीं चाहती
मैं बस देखती हूं तुम्हें हंसते हुए
और खुद भी तुम्हारे साथ मुस्कुरा देती हूं।

अचरज भरी तुम्हारी निगाहें
जब चारों तरफ देखती हैं
तो मैं सोचती हूं
कि काश मैं तुम्हारा मन पढ़ पाती
तुम्हें बता पाती कि ये दुनिया
मुझे तुम्हारी इन बड़ी - बड़ी आंखों में
दिखती है।


तुमसे पहले प्रेम का मतलब केवल मैं रहा
मेरा मैं अब मां में परिणत हो गया है।

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16 NOV 2024 AT 10:25

एक घर था और घर क्या कुछ लोग हुआ करते थे
एक रस्ता था जिसपर रोज का आना जाना था
कुछ दुकानें , इमारतें और कुछ पेड़ थे
जो खड़े रहते थे चुपचाप पर अपने से लगते थे।

इन कुछ बरसों में घर तो अभी भी है
लोग नहीं रहे।
रास्ता अब भी है पर आना जाना नहीं रहा
वो दुकानें अब कॉम्प्लेक्स हैं
वो इमारतें अपार्टमेंट्स
पेड़ का नामो निशान भी नहीं है।

एक शहर था जो कभी अपना था
अब एक शहर है जिसे अपना बनाने की कोशिश ताउम्र रहेगी।

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2 JAN 2024 AT 10:20

कुछ नए लम्हें फिर आयेंगे
खुशियों की गठरी फिर खोली जाएगी।
बीते साल की कसक फिर भी मन के इक कोने में दबी रहेगी,
कुछ रंग बिखेरे जायेंगे
समय के साथ लगेगी रेस फिर से
जीवन की पटरी पर फिर से ये नया कैलेंडर चल पड़ेगा।

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13 DEC 2023 AT 21:57

जाने वाले अपने पीछे
छोड़ जाते हैं कितने ही काश
अफसोस उमर भर का
चलती हुई सांसों का पश्चाताप
जीने की इच्छा ना होते हुए भी
जीने का जद्दोजहद
जाने वाले तो चले जाते हैं
ले जाते हैं एक हिस्सा उनका भी जो रह गए हैं।

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22 MAY 2023 AT 8:33

मैं घर में होकर
घर से दूर जाना चाहती थी
मुझे तब घर का मतलब शांति मालूम था.
आज घर से दूर अथाह सन्नाटे में
उस शोर- शराबे की बहुत कमी महसूस होती है.

यहाँ इस कैंपस में दो नीम के बड़े पेड़ हैं
एक बड़ा वृक्ष अशोक का है
एक विशालकाय बरगद हुआ करता था
जिसके नीचे बिल्लियाँ बैठा करती थी.

पेड़ के नही होने पर अब उस पार की सड़क
बहुत साफ दिखाई पड़ती है.
बिल्ली का रुदन भी कभी- कभार सुनाई देता है.

मैंने एक घर की तलाश में कितने घर बना लिए हैं.

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24 APR 2023 AT 11:32

सारा समय दूसरों के मन को सम्भालने की कोशिश में
मेरा मन कहीं छुप गया जाकर।
ऐसा रूठा है कि लाख आवाज़ों पर भी बाहर नहीं आता
और जिन्हें मैं सम्भालती रही
उन्हें पता है अपने आप को संभालने का हुनर।

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29 NOV 2022 AT 8:40

हमने कविताओं के प्रेम को
कविताओं के पास रहने दिया।
यथार्थ में उनकी जगह नहीं बनाई
बनाई होती तो जान पाते
प्यार में मिले सेकंड भर का रहस्य
यही कि उस सेकंड भर में लिखी जा सकती हैं
अंसख्य कविताएँ।
कविताएँ उन असमर्थ भवनाओ की
जो मन के भीतर तो हैं पर बाहर नही आना चाहते।
मन की डोरी पक्की और इतनी पक्की होती है
कि बिना किसी रिवाज के भी पड़ जाती हैं गांठे उनमें सम्बन्धो की।
मिठास की..साथ की...
कविताओं के प्रेम के लिए बहुत जगह है दुनिया में
बशर्ते कि सम्बन्ध भी कविताओं सा सुंदर हो

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6 OCT 2022 AT 22:55

दुनिया की तमाम झोलझाल के बीच
उलझनों के बीच
नियति चुनती है हमारे लिए उन चेहरो को
जिनसे बिना मिले भी
जुड़ जाता है मन.

सफलताएँ मुस्कुराहट लाती हैं
दुःख दुआएँ.

हम बुनते हैं ढेरों कहानियाँ
लाखों सपने
अपनी दुनिया से
उस दूर दुनिया को जोड़ने की.

इन कोशिशों से यथार्थ बदले या ना बदले
जीवन जरूर बदलता जाता है.

दूर उस दुनिया के किसी कोने में हमारा मन उस व्यक्ति के साथ चलता हुआ कह रहा होता है दुनिया इतनी बड़ी भी नही है.

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