हर शख्श अपना है जहाँ में,बस तू किसी को आजमाना मत, -
हर शख्श अपना है जहाँ में,बस तू किसी को आजमाना मत,
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अपना हक़ भी मुझको हक़ से चाहिये,खैरात में तो मुझको ख़ुदा भी मंज़ूर नहीं, -
अपना हक़ भी मुझको हक़ से चाहिये,खैरात में तो मुझको ख़ुदा भी मंज़ूर नहीं,
असमानों के परिंदे घर को,लौटते क्यो नही,क्या इनको भी अपनों ने,घर से निकाला है, -
असमानों के परिंदे घर को,लौटते क्यो नही,क्या इनको भी अपनों ने,घर से निकाला है,