हो समर्पित वतन पे ललन चाहिए ,
भगत , आजाद जैसे रतन चाहिए ।
मृत्यु के बाद यदि जन्म फिर से मिले ,
तो भारत ही मुझको वतन चाहिए ।-
चीथड़े हुआ मेरा तन
गोदी चाहे फिर भी मन,
लाड़-दुलार मेरा तुम कर लो
माँ मुझको बाहों में भर लो!
यही थी मेरी इच्छा अंतिम
लिपट तिरंगा हुआ है रक्तिम,
शव के नाम पे मांस का टुकड़ा
देख सकेगी न माँ मुखड़ा,
मेरे सारे दर्द ,माँ हर लो
माँ मुझको बाहों में भर लो !
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जल्दी वापस घर आ जाओ
याद बहुत ही आती है
कहाँ गए हो लाल मेरे तुम
माँ आवाज लगाती है ...
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कृपया पूरा गीत पढ़कर टिप्पणी करें-
चरागदान कोई गर्द से...ढका पड़ा है...
बहुत दिनों से उस बुढ़िया ने...कोई चराग नहीं जलाया...
सुना है उसका बेटा... फ़ौज में था...👮
सरहद पर गया था...लौटकर नहीं आया...😢-
सरहद पर देश की रक्षा करते करते
कुछ और वीर भगवान को प्यारे हो गए
शहीद होकर वतन कि खातिर
आसमान के चमकते सितारे हो गए
थी हाथ में बंदूक, कमर पर बंधी थी गोलियां
पर हुकूमत के कुछ फैसलों से बेचारे हो गए
अगली छुट्टियों में मिलूंगा कहकर गया था जो
आया है तिरंगे में लिपट, कि सब दुखियारे हो गए
ना जाने कितने ख्वाब टूटे हैं उनके जाने से
माएँ बेसुध, बच्चे अनाथ और घर बेसहारे हो गए
रगों में खौलता है लहू का इक इक कतरा जैसे
बदन की तपिश ऐसी कि सब अंगारे हो गए
पूछता है सवाल आज हुक्मरानों से "निहार"
लेंगे बदला बलिदानों का अब, या तुम भी हत्यारे हो गए
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उड़ जाती है नींद में सोचकर
कि सरहद पे दी गई वो कुर्बानियां
मेरी नींद के लिए थी
इंकलाब जिंदाबाद-
भारत🇮🇳 मां तेरी जय हो हमेशा✌✌✌
इसलिए तिरंगे🇮🇳 में लिपटकर घर को जाता हूं
फौजी हू ना खुद की मां नहीं दिखती😑🙏
जब भारत मां तेरी ओर दुश्मन कदम बढ़ाता है
🇮🇳जय हिंद साहब जी🇮🇳
✌✌🙏🙏🙏-
कैसे सोऊँ सुकून की नींद मैं साहब...,
सुकून से सुलाने वालों के तो शव आ रहें हैं..!!
जय हिंद..🇮🇳
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कितने इश्क़ लिखते हैं
कितने इश्क़ सिखा गए
असल इश्क़ क्या होता है
शहीद भगतसिंह दिखा गए।-