मैं भी चाहता हूँ भीड़ और वाह-वाही को उठते हाथ
जनाजे में मिरे 'राम नाम' नहीं, कुछ शे'र कहे जाएं!!-
मेरे स्कूल में लगता है ये तिरंगा
पापा इसमें लिपटे क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
पापा इतनी नींद में सोये क्यों आये है
हर बार मुझे दौड़कर गले लगाते थे
इसबार पापा ख़ामोश क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
पापा को फूलों के हार क्यों पहनाये है
जब भी आते थे पापा मुझे पुकारा करते थे
'चिन्टू-चिन्टू' कहने वाले चुप क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
हरबार तू खुश होती, आज आँसू क्यों आये है
दादा-दादी गले लगाते थे पापा को हर बार
आज सब रोते हुए नजर क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
गांव पूरा पापा को शहीद क्यों बताये है
माँ बोलो ना, तुम क्यों रो रही हो
ये सब तेरा सिंदूर मिटाने क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
पापा तिरंगे में लिपटे क्यों आये है-
खुदा भी कल गर्व से तन गया होगा
दरबार में जो उसके,शहीदों का काफिला गया है।
- © सचिन यादव-
देना होगा मुहतोड़ जबाब उसका उपस्कार करे
दुश्मन कभी नहीं सुधरेगा ये आप स्वीकार करे।
कब तक सहे दर्द अपनों का,अब तो हाहाकार करे
अपने बीर जवानों का मिल के जयजयकार करें।
बहुत हुआ उसकी बर्बरता मिल कर प्रतिकार करे
चीनी समान का दिल से पूर्णतः बहिष्कार करें।
धारा पे सीस चढ़ाने को हम खुद को तैयार करे
दे लहू अपना भारत का सपना को साकार करें।
20,वीर शहीदों का दिल से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
😭😭😭😭🙏🙏🙏-
शहादत 😢😥😓
जब निकलू तेरी गली से अपने पायल कि खंखांहत एक बार फिर सुना देना,
जब निकलू तेरी गली से चूपसे अपनी छत से झांक लेना,
जब आऊ तेरी गली में अपने आंखो में आशु अपने छुपा लेना,
जब आऊ तेरी गली में अपने आप को संभाल लेना,
मोहब्बत कितनी भी हो लेकिन अब पिता से ये सब छुपा देना,
ज़िन्दगी में दुखों का पहाड़ आएगा लेकिन खुद को संभाल लेना,
मेरी शहादत पर आशु बहाने वाले आंखो को चश्मे से पीछे ही संभाल लेना,
बहुत दर्द दिए जा रहा हुआ हो सके तो खुद को संभाल लेना,
मेरे पीछे मेरी बूढ़ी मां को भी कभी देख आना,
हो सके तो थोड़े दिन उनके मेरी शहादत की बात को छुपा देना,
उनका इकलौता बेटा शहीद हो गया इस गम को कुछ टाइम के लिए झुठला देना,
मेरे पापा के दुखों को भी हाल के आना,
बेटा शहीद हुआ है भारत मां कि सेवा में सीना उनका चोड़ा होगा,
आशु तो नहीं होंगे उनके आंखो में लेकिन गम उनके पास गम बेहिसाब होगा,
दुख तो उनको सबसे ज्यादा होगा लेकिन उनको भी थोड़ा समझा देना,
हो सकें तो अपने साथ मेरे परिवार को भी संभाल लेना,-
"आँसू "
कभी खुशी की फुहार बन आँखों से छलकते हैं,
तो कभी गम को अपने में समाहित कर मचलते हैं .....
कभी बेबसी और लाचारी बन
आँखों में समा जाते हैं आँसू ,
तो कभी राहतों की सौगात स्वरूप
रिमझिम से टपकते हैं .....
कभी पिता की फटकार में,माँ के दुलार में
नैनों को गले लगाते हैं आँसू ,
तो कभी गैरों के दर्द में भी
मोम बन पिघलते हैं .....
कभी देशभक्ति के नाम पर
पलके भिगो देते हैं आँसू ,
तो कभी शहीदों की शहादत पर
अभिमान बन बरसते हैं .....
शेष अनुशीर्षक में पढ़ें ....निशि 💖
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हम इन शुरवीरों की ये शहादत ,
इनका बलिदान करा रहा अब इनकी इबादत,
इनके सिवा कौन यूँ करता है, इस देश की हिफाज़त,
मरते मरते भी ये कह जाते हैं, देश रहा अब तुम्हारी अमानत !
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तेरे दीदार की इस तमन्ना को मैं आदत कहूं
या मोहब्बत क्या पता...
तेरे लिए मर जाऊं तो खुदा की इनायत कहूं
या शहादत क्या पता...-
उनके नापाक इरादों को जलाकर राख कर देना,
देश पर उठी उंगलियां मरोड़ जंग का आग़ाज़ कर देना !-