लोग लफ्जो को मेरे पढ़के मुझे...
गमगीन कहने लगे हैं,
कुछ भी बयां करूं...
बेगैरत सी निगाहों से देखने लगे हैं,
जरूरी तो नहीं हर एक लफ्ज़
खुद पे बीती हुई कहानी से ही कहा जाए,
या फिर मिलें जखमों से ही बयां किया जाए,
ऐसा भी तो नहीं कि सब कुछ
दिल टूटने पर ही कलम की स्यांही से उकेरा जाए,
कुछ अल्फ़ाज़ किसी को उन लम्हों में
जीता हुआ देखके भी लिखें जा सकते हैं,
फिर गम चाहे अपने हो या
किसी और के महसूस तो किए ही जा सकते हैं !-
Beginner
Agar kalam sath ho....
आज कुछ अनजान राहों पर चलता जा रहा हूं...
जहां भी देखूं खुद को अकेला पा रहा हूं...
जानता हूं सब साथ हैं मेरे...
फिर भी ना जाने सब को खुद से दूर पा रहा हूं...
लग रहा डर इन राहों पर...
कहीं खो ना जाऊं कही...
पर लगता है कोई तो समझेगा मुझे भी कभी...
इस आस में बस चलता ही जा रहा हूं...
हालातों को मात देते देते थक चुका हूं...
फिर भी अपनों के लिए जीता जा रहा हूं...
जानता हूं कोई नही समझेगा...
इसलिए खुद को खुद के साथ जोड़ता जा रहा हूं...
पर यहां मैं ना किसी को सही,
ना किसी को गलत ठहरा रहा हूं...
बढ़ते कदम रुकते नहीं, चलते चलते थकते नहीं...
पहुंचूं किसी मंजिल पर जल्दी, ये खुद को समझाता जा रहा हूं...
अपनों से दूर, और खुद के करीब होता जा रहा हूं...
माना के मुश्किल है ये सफर पर क्या हुआ...
एक दिन सब ठीक होगा इस बात को समझ कर आगे चलता जा रहा हूं...
अंदर बहुत शोर है गमों का...
फिर भी मुस्कुराते जीता जा रहा हूं...
इन अनजानी राहों पर अकेला मैं बस चलता ही जा रहा हूं...
..........बस चलता ही जा रहा हूं.....!
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Paani ke har ghoont me mai tumhe mehsoos krta hoon....
Pyaas bhujti hi nhi ye baat mai kubool karta hoon....
Kaise batlaun mai tumhe, mai tumhari surat par nahi tumahri adaon par marta hoon.....
Tum kya jaano hal-e-dil mera har waqt mai tumhe hi socha krta hoon.....
Chupke chupke chori chori aksar tumhara deedar karta hoon....
Kaise batlaun mai tumhe tumhare dil me ek chhoti si jagah paane ke liye mai kitni koshish karta hoon....
Aarju bahut si h dil me.. main aksar chupaye firta hoon....
Chahat beintehaan dabi h dil me par kehne se mai darta hoon......
Kaise batlaun mai tumhe sapna ho ya haqiqat har jagah tumhara hi intezaar krta hoon......
Zajbaat behk jaate h jab bhi mai tumse milta hoon.....
Armaan mehek jaate h jab bhi mai tumse baatein krta hoon...
Kaise batlaun mai tumhe apne dil ki baat mai khud se jyada tum se pyaar karta hoon.....❤❤-
कभी कभी वो वक्त भी जिंदगी में आता है....
जब कोई साथ ना खड़ा नजर आता है....
इतनी भीड़ में इंसान खुद को तन्हा पाता है....
खुशनुमा सी दिख रही जिंदगी में काला बादल छाता है....
चल चुके नए सफर में हमसफ़र का साथ ना जब इंसान पाता है....
ना घरवालों से कुछ कहा जाता..और ना हमसफ़र ही समझ पाता है...
अंदर ही अंदर फिर वो शख्स टूटता चला जाता है...!-
वो बिछड़ रहा था,
हमसे रोका ना गया
दिल टूट रहा था,
हमसे रोया न गया
जाने दिया हमने मुस्कुराते हुए उसे अपनी दुनिया से,
क्यूंकि सब कुछ खो दिया जिस शख्स के लिए हमने,
इसके बाद भी जब उससे हमारा होया न गया!-
ये तेरा जिंदगी में ना होने का एहसास है के जाता नही है,
कितनी भी कोशिश करूँ..
तेरे जैसा प्यार किसी पे अब आता नही है,
और अब तो ये दिल भी तन्हाई का इतना आदी हो गया है....
के तेरे यादों के काफिले पे चला जाए तो वापस आता नही है,
जितना मर्जी इसे उलझाऊ रिश्तों में... लम्हों में...
ये कम्भख्त है के तुझे भुलाता ही नही है...💔
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कहीं अगर मुलाकात हो जाए तो नजर मत मिलाना...
या अगर हो सके तो कभी मेरे सामने मत आना...
मैने पीछे मुड़ कर देखना बंद कर दिया है...
तो अब मुझे तुम आवाज मत लगाना...
हकीकत तो ये है की भूले नही हैं....
कोई बताए तो हम भी सीख जाएं तुम्हें भूल जाना...
गम तो ये है की हम तुमसे नहीं सीख पाए...
नहीं तो हमें भी आ जाता छोड़ कर जाना...
रोने पर मजाक बनाती है दुनिया...
फिर क्यूं किसी को अपना दर्द सुनाना....
तुमने पूछा था की क्या कर सकते हैं तुम्हारे लिए...
तो बस इतना कर दो की कभी मुझे तुम याद मत आना...
अब समझ आया की क्यूं ज़ख्मी लोग दुआ में मौत मांगते है..
इस दर्द में रहने से कहीं अच्छा है... हमेशा के लिए सो जाना !!!!!-
कभी याद तो तुझे वो आता होगा,
याद ना सही ख्याल तो उसका आ ही जाता होगा,
कभी दिन के उजियारे में,
तो कभी रात के अंधियारे में,
किस कदर वो तड़प जाता होगा,
कभी तूने सोचा है,
तुझे पाने को कितना वो छटपटाता होगा,
हर साथ बिताया लम्हा कितना उसे याद आता होगा,
उन बातों कसमों वादों पर,
कितना रोना उसे आता होगा,
एक पल के लिए मिलने को, बात करने को,
कितना वो तरस जाता होगा,
यकीन कर जिस लम्हें में,
उसका सब्र का बांध टूट जाता होगा,
ना उससे जिया जाता होगा,
ना वो मर ही पाता होगा.....-
दिल नहीं रो रहा,
आज आँशु मेरी रूह से निकल रहे हैं,
कुछ कहने से पहले ही जज़्बात बिखर रहे हैं,
तू अभी तक पूरी तरह गया नहीं है,
पर तेरे जाने के निशाँ मुझे मिल गए हैं!-
मजबूर इतने हैं,
के चाहके भी कुछ कह नहीं सकते तुमसे,
अब तो तुम ही कोई तरकीब बताओ,
कैसे निकालें तुम्हें इस दिल से!
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