Poet M.K.   (Poet MK)
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Lyricist - Composer
#poetmk #lostmirror
Joined 5 April 2020


Lyricist - Composer
#poetmk #lostmirror
Joined 5 April 2020
28 NOV 2022 AT 9:25

शायरी में जब भी मैं तेरी और मेरी बात लिखता हूं
तू लाख दूर सही, मैं हमेशा तुझे मेरे पास लिखता हूं

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30 JAN 2022 AT 15:52

मेरे शहर के बाजारों में एक नज़ारा मैं देखता हूं हर रोज
पैसों के लिए पैसे लगाकर भगवान की तस्वीर खरीदतें हैं लोग — % &

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27 JAN 2022 AT 15:14

नज़रें मिला के बोलूं मैं उनसे, मेरी हिम्मत ना होती है
जिसने है खोया बस वो ही जाने, पिता की क़ीमत क्या होती है— % &

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27 JAN 2022 AT 4:22

मेरे सीने में जो लगी हुई आग है उसपे पानी–बर्फ़ नहीं पड़ता
मुझे इससे बहुत फ़र्क पड़ता है कि तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता — % &

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17 JAN 2022 AT 10:54

मेरे सीने में कई गजलों की लाशें दफ़न हैं जो ना मैं कभी लिख पाया और ना ही किसी को सुना पाया
बस नाम का शायर हूं मैं जो अपने लफ़्ज़ों से ना किसी को हसा पाया और ना ही किसी को रुला पाया

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17 JAN 2022 AT 10:48

मुलाकातों–बातों की वो डायरियां अधूरी रह गई
उससे जब दूर हुआ, कई शायरियां अधूरी रह गई

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29 DEC 2021 AT 11:32

उसके सामने मैं कोई बाज़ी जीत नहीं पाता, वो खिलाड़ी किसी राज महल की है
जितनी बार देखता हूं ,दिल हार बैठता हूं ,उसकी तो आंखें भी शतरंज खेलती है

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25 DEC 2021 AT 9:23

हर रोज़ तुमसे मिलने की झूठी उम्मीदें जेब में रख के निकलता हूं
तुम नहीं मिलते बस तन्हाइयों से मुलाक़ात कर के घर लौट आता हूं

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21 DEC 2021 AT 21:42

काश मैं, मैं ना हो के आसमान का एक सितारा होता
हर शाम मेरी इन आंखो के सामने चेहरा तुम्हारा होता
तू भी शाम होते ही छत पे आ जाया करती मुझे देखने को
फिर मैं तुम्हें और तू मुझे देखती, वाह क्या नज़ारा होता

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19 DEC 2021 AT 7:53

हमने जो कभी देखे थे तारे
धीरे-धीरे टूट रहे हैं वो सारे

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