"अम्मा" बोला था मैंने सबसे पहली बार,
पहला अक्षर भी "अ" लिखवाया था,
हिंद और हिंदी तो खून में हैं,
ज़िन्दगी हैं..
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🇮🇳🙏
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धर्म-जाति सब कुछ तुम ही,
तुम ही तो मेरी आदत हो...
विश्व के हर कण-कण में,
तुम ही तो सर्वत्र समाहित हो...
खेद है कि अपने गृह में ही,
तुम सम्मान से वंचित हो...
मुझ पर प्रभाव हर भाषा का,
व्यर्थ जीवन यदि न हिंदी रंजित हो...
माँ को वो "हृदय" भला भूले कैसें?
जो सुधा दुग्धपान से संचित हो...
कोई कहता मुझे हिंदी हूँ मैं,
हाँ! हिंदी हूँ मैं मेरा भारत रंजीत हो...
~ रेखा "मंजुलाहृदय"
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हिंदी सिर्फ एक भाषा नही, माँ है मेरी,
हिंदी सिर्फ एक शब्द ही नही पहचान है मेरी।-
जिस भाषा में तुम्हारी आंखें
मेरी आंखों को पढ़ती है..
जिस भाषा में दिल धड़कता है
और कहता है तुम मेरे हो..
जिस भाषा में हम ख़ामोशी
को समझते है..
जिस भाषा में मैं लिखता/चीखता हूं
जिस भाषा में माँ की लोरी सुनी थी
जिस भाषा में दुनिया के ताने सुनता हूं
जिस भाषा में कभी दिल टूटा था
जिस भाषा को अब मैं जीता हूं..
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हिंदी और कुछ नहीं सांसे है
हिंदी प्रेम है..
हिंदी संघर्ष है...
अंग्रेज़ियत में..
भारतवासियों के बीच..!!-
हिन्दी हमारी निजता, सांस्कृतिक चेतना,और भारतीयता की अभिव्यक्ति का वाक-रूपांतरण है। हिन्दी से हमारी संस्कृति-संस्कार एवं अनेक संवेदनाएं जुड़ी हुई हैं।अतःराष्ट्र भाषा हिन्दी के उत्कर्ष में ही भारत का उत्कर्ष-उन्नयन समाहित है।
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं-
हिंदी और कुछ नहीं सांसें है
हिंदी प्रेम है..
हिंदी संघर्ष है...
अंग्रेज़ियत में..
भारतवासियों के बीच..!
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पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें✍️👇-
शिकन ना लाओ माथे पर वहाँ बिंदी ही रहने दो,
जुबां कोई भी बोलो दिल में पर हिंदी ही रहने दो-
सागर में मिलती धाराएँ
हिंदी सबकी संगम है,
शब्द, नाद, लिपि से भी आगे
एक भरोसा अनुपम है,
गंगा कावेरी की धारा
साथ मिलाती हिंदी है,
पूरब-पश्चिम, कमल- पंखुरी
सेतु बनाती हिंदी है।
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सोलह श्रृंगार किए
रस छंद भाव पिए
हिंदी खड़ी मित्र आप
आरती उतारिए
हिंद के निवासी हम
हो हिंदी ही भाषी हम
हिंदी का प्रयोग आप
मत बिसराइए
व्यवहारों मे लाइए
किशोरों को सिखाइए
माँ हिंदी की उन्हें आप
महिमा सुनाइए
माँ हिंदी का मान करे
और अभिमान करे
बिंदी से हिंदी की आप
तिलक लगाइए
विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ-