कितनी दफा मिली है चिट्ठियां आपकी आंखों से,
कितनी दफा आपके हाथों को चूमा आंखों से,
कितने बरस से कर रहे हैं हम इबादत आपकी
आपने खुदा कर दी औकात मेरी, आंखों से।-
अजनबी, बेगाने लोग बन जाते हमसफ़र,
अतिशय दुरूह होती मेरे जीवन की डगर,
ईश्वर हैं, तुम हो साक्ष्य – मेरी जां–ए–जिगर;
मेरे साथ ‘तुम’ हो, तो है मेरी आंख कारगर।-
मदमाते नैनों वाली की बात भी की जाए तो क्या?
जिससे आला कोई न हो, दाद भी दी जाए तो क्या?
उसकी जितनी भी बातें हैं वे परे हैं आदिम बातों से,
देवी की जीवित मूरत को सौगात भी दी जाए तो क्या?-
महिमामंडन, तेरी सूरत का, जितना हो कम होगा,
तेरे भीतर है जो मन, उसका कैसे वर्णन होगा?
तू है झिलमिल चांद की प्रेरक, तू है दमक दिवाकर की,
मद्धम हैं सारी उपमाएं, सब तुझसे कम सुन्दर होगा।-
मोहब्बत जायज़ है इक बस तुमसे ही,
तुम्हें मोहब्बत के सिवा और क्या दिया जाए?
❤️
पूरी रचना अनु शीर्षक में पढ़िए।-
उसकी आंखें देखूं या उसकी रंगत पर इठलाऊं?
कैसे कर लूं इक छिन दूरी, कैसे उसको ना चाहूं?
जिस पर तन–मन बलिहारी, उससे ही लिपटा जाऊं
उसकी दिशा–दशा सब पर, मैं तो मिटता ही जाऊं,
उसके रंग पर फबता है, मेरे होठों का चुम्बन यूं,
उसके रंग पर निर्भर है मेरी संतति का जीवन ज्यूं।-
उम्र तनख्वाह सी खर्च कर दूं मेरी जान तुम पर,
तुम महज़ दिल रख लो मेरा, और रूठा न करो;
तुम बिन बेतहाशा फिराक तुम्हारी ही होती है,
यूं टूट कर मेरी बाहों में, मुझको लूटा न करो..-
रून-झुन उसकी करधन की धुन
और मेरा दिल उस पर टुन्न,
रातें उजली-उजली करती
आंखें उसकी हैं टिम-टिम,
चाहूं जिसको सुब्ह-ओ-शाम
है वो फनकारों का फ़न,
मैं हूं इश्क़ के रोग से पागल,
है वो मेरे तिब का फ़न..-
मेरी पहनाई पायल,
आज़ादी से चहकती पायल
तुम्हें पहना दूं ग़र -
बेबाक उड़ना तुम
अपनी आज़ादी की
अपने सपनों की उड़ान,
तुम्हारी उड़ान और हवा के घर्षण से
छनकती रहेगी मेरी पहनाई पायल,
ऐसे मेरा इश्क़ तुम्हारे सफ़र की गूंज बनेगा
और मैं तुम्हारा हमेशा साथ देने वाला हमसफ़र❤️-