Rupali Lakhani   (रुपाली💞सौरभ)
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Joined 8 May 2021


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1 JUL AT 14:37

तितलियां पथिक हैं
भटकती है फूल दर फूल
फूल घर है सदा
खुशबू का...

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30 SEP 2024 AT 17:28

ग्भग्घब

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23 JAN 2023 AT 10:49

संभावना में निहित संभव की अंतरात्मा से मन पूछ बैठा- क्या तुम्हारी उपस्थिति से इस बात को बल मिलता है के उसके आने की आस जीवित रहे???

संभावना मौन रही।

संभव ने अपने नाम के आरंभ में अ का उपसर्ग लगा लिया है।

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3 JAN 2023 AT 23:58

कुछ दस्तक होती है मेरे दर पर हर रोज़
कुछ आहटें आमद का शोर नहीं मचाती

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2 JAN 2023 AT 22:48

कोई पूछे अपनों के दिये ज़ख़्मों का रंग कैसा होता है
हम अपने मुस्कुराते लबों पर टूटे दिल की सुर्खियां रख देंगे

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31 DEC 2022 AT 21:20

खिड़की के पल्लों तक उड़ कर आते..
आकर टकराते पत्तों ने पतझड़ के आने का संदेशा दिया है।
आसपास खड़े पेड़ों पर नज़र पड़ी मगर
कहीं उदासी नज़र नही आ रही
न उन्होंने ओस की चादर पहने
रोने का ही कोई बहाना पेश किया है।
पेड़ों ने पत्तों की विदाई स्वीकार कर ली है।
पत्तो ने भी बिना मुड़े आगे बढ़ते हुवे
अपनी नियति तय कर ली है।
ये घटना मात्र ऋतु परिवर्तन नहीं है, ये जीवन है।

सुनो!!!

मै अब तुम्हे विदा करती हूं....।

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19 DEC 2022 AT 10:03

"मेरी सोनपरी तुम सोन चिरैया हो"

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11 DEC 2022 AT 8:47

मुझसे ज़्यादा ये "दिसम्बर" तुम्हारा है🤗

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10 DEC 2022 AT 21:32

तुम्हे और क्या दूं मैं 💞 के सिवा....

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29 NOV 2022 AT 10:00

दीर्घायुरारोग्यमस्तु,सुयशः भवतु,विजयः भवतु, जन्मदिनशुभेच्छाः।
(साभार_गूगल)

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