बहाव के साथ बहने को
स्वीकार करना भी
एक तरह की बगावत है।-
अनुभूति के
रस में डूबकर
मनोभाव जब
स्थिर हो जाता है
तब भवसागर में
विचारों की वेगवान
अनंत लहरें भी
रोक नहीं पाती
मिलने से....
कल्पना को कवि से
प्रेमी को प्रियतम से
आत्मा को परमात्मा से
बिम्ब को प्रतिबिम्ब से!-
जो लोग अपने जीवन मे एक राह पर नही रहतें, वही लोग फ़ालो अनफ़ालो का खेल खेलते हैं।
मेरा सभी सम्मानित जन सें अनुरोध है कृपया मुझे फ़ालो बैक के आशय से फ़ालों ना करें, पहले पढ़ें अच्छा लगे तभी लाइक कमेंट या फ़ालो करें, वर्ना बिना पढ़ें समझे बिल्कुल भी लाइक कमेंट फ़ालो करने कीं तकलीफ़ ना उठायें॥
🙏सहृदय अनुरोध स्वहित मे जारी 🙏-
कितना आसान है महान बनना।
एक विचार सोचो, उसे रोज और बेहतर बनाओ,
और उसमे अपनी ज़िन्दगी बिता दो।-
"लिखने से"
एक व्यक्ति ही बन जाता है..."एक समूह"
हो जाता है एक..."विचार और संस्कार"
समाज की 'धडकन' 'सांस' 'आत्मा' और "प्राण" !
सहसा अगर,
उससे ये "लेखन"
छीन लिया जाये;
तो 'समूह' का 'समूह'
बन जाता है "एक लाश" !!
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चाहे वो कुछ भी हो
पहले विचार करो फ़िर आप स्वयं पर विश्वास करो
जिंदगी यूंहीं नहीं मिलती उसका भी ख़्याल करो
जीवन में कुछ भी अधिक ख़र्च या इकठ्ठा होना
हमारे सर्वनाश को आमंत्रण देना होता है!....-
मै चाहती हूँ धरा पर आए
एक दिन, जब नष्ट हो जाए
वो जातियाँ धर्म मज़हब सब
ना मन में द्वेष दिखे ना ही ज़हन में गंदगी
वो भेद रंग- रूप का सब
घुल जाए खारे समन्दरो में कहीं
भाषाएं सारी उड़ जाए हवा में मिलकर
मन दुखी कर रही ये असमानता जल जाए
ग्लोब पर बनी ये टुकड़ों की सीमाएं धुल जाए
संसार में फिर इंसान दिखे... श्वास लेते हुए
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विचार आते हैं
लिखते समय नहीं
बोझ ढोते वक़्त पीठ पर
सिर पर उठाते समय भार
परिश्रम करते समय-
उन शब्दों को उकेरने की
जो जेहन की सिलवटों में
एक उम्र से भटक रहे हैं
वो जो जुबां तक आते आते रह गये थे
वो जो रोजमर्रा की दौड़ में
दरकिनार कर दिये जाते हैं
वो जो तब हमारे पास आते हैं
जब कोई पास नहीं होता
मन की खिड़कियों से झांकते हुए
उस विचार रूपी चाभी की तलाश में
जो मन के दरवाजे खोल देगा
और उन शब्दों को एक माध्यम देगा
कभी वाणी, कभी कलम का
कब आयेगा वो विचार (🔑)
अब तो बस उसी का इंतजार है-