गुरू तमस को दूर कर,
भर देते हैं प्रकाश।
ज्ञान के ज्योति से किये,
रौशन सारा आकाश।-
कहीं मूर्ति बने तो कहीं सहरों के नाम बदले
कहीं रुपया गिरा तो कहीं पेट्रोल सिर पे चढ़ा
अब दिमाग में ज़ोर लगाये याद नहीं आता की
विकाश की बातें हमने अखबार में किस दिन पढ़ा..
-
हमारे समाज को
इस्तरह से तोड़ा जा रहा है कि
समाज जिंदा रहने को
विकास समझने लगी है ।।-
तेरी यादें इतना क्यों सताती है?
जब भी आती है मुझे रुलाती है|
तेरे साथ जिए हर लमहे को याद करके,
मेरी आंखें अनायास ही क्यों भर जाती है?
मेरी आत्मा से रूह तक, बस तेरा ही नाम है|
चाहा है तुझे इतना, जिसे कहते बेपनाह है|
ताउम्र कभी मुझे पराया मत करना,
क्योंकि तुझसे ही जीने की वजह,
और चेहरे की मुस्कान है|
तुम्हारा प्यार अनमोल है मेरे लिए,
तुम्हारा साथ अनमोल है मेरे लिए|
तेरी दूरियां भी मुझे गवारा नहीं होती,
तेरी आवाज भी अनमोल है मेरे लिए|
तेरे प्यार ने एक नई दुनिया दिखाई मुझे,
एक-एक पल कैसे बीत गया?
बात भी समझ ना आई मुझे|
एक-एक पल अब पहाड़ सा कटता है|
"विकाश" को यह प्रीत भी तूने समझाई थी मुझे|-
शहर में जो दिख रहीं है झोपड़ियां सारी
कागज में बनी हैं ये कालोनियां सारी
सतत विकाश की यही परिभाषा है
आधा देश भूखा,आधा देश प्यासा है।।-
विकास का खूब मजाक उड़ रहा है
कितने लोगों ने जान गंवा ली है
पूरा विश्व खामोश है, विकास की
बात न करना कोई, विकास और विनाश
प्रकृति के हाथ है,-
हमारे विकाश में
संसार का कल्याण
निहित है इसलिए हमें
अपनी शाश्वत समृद्धि की ओर
प्रयत्नशील और अग्रसर
रहना चाहिए।-
प्रशन तो ये भी है ना -
कि कब तक हम किसी वस्तु और मूल्यों के आधार पर , किसि के विकाश को परिभाषित करते रहेंगे?-
काल की चाल
के साथ
सोच का स्तर और दिशा
दोनों परवर्तित होते रहते हैं,
देखा जाए तो
क्रमागत उन्नति (evolution)
भौतिक(material) और अभौतिक (abstract)
दोनों स्तर पर हो रही है...वो भी निरन्तर, नित क्षण।-
ये जो भक्त है बडे अजीब से लोग है
इन्हे क्या खबर के है मोहब्बतों की गुरुज क्या,
है सवाल क्या , है जुनून क्या, है शुमाल क्या।
ये जो पानीयो के है बादसाह
इन्हे क्या खबर की है प्यास क्या ।
ये जो धर्म-जात मे है मुब्तिला
इन्हे क्या खबर के है विकाश क्या?
ये जो लड़ते रहते है रंग पर
इन्हे क्या खबर की है रूप क्या ?
ये तो छाव मे है पले-बधे
इन्हे क्या खबर की हैं धुप क्या ?
ये जो घर ना अपना बसा सके
जलाते रहते है बस्तिया
ना ये सरहदो पे जवान है
ना खेतियो मे किसान है
इन्हे नफ़रतो से ही काम है ।
ये सियसतो के गुलाम है
ये बडे अजीब से लोग है
ये जो भक्त है बडे अजीब से लोग है ।।।
Unknown source-