शीर्षक "वक्त की मार"
एक वक्त के बाद हर कोई गैर हो जाता है
जिंदगी भर के लिए किसको समझू अपना ,
अब यह भी वहम नजर नही आता है
जिंदगी में वक्त ऐसा भी रहा है
जब जिक्र पहले आपका बाद में खुद का जिक्र किया है,
एक वक्त के बाद जैसे दिन ढल जाता है,
वैसे ही ढल कर छोड़ा है अपने,
पता नही था एक वक्त ऐसा भी आयेगा,
जब आप मौसम की तरह क्षण भर में बदल जाओगी
एक वक्त के बाद हर कोई गैर हो जाता है
अपना प्यार भी टूटा एक वक्त के बाद ,
एक वक्त के बाद तरसेगी तेरी अंखियां मेरी एक झलक के लिए,
एक वक्त के बाद हर कोई गैर हो जाता है,
एक वक्त ऐसा भी आता है जब सब कुछ खत्म हो जाता है
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