Harendra Singh Lodhi   (The Spiritual Wanderer)
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Joined 26 May 2020


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5 JUL AT 9:35

शिव अर्थात् शुद्धतम चेतना
भय, ईर्ष्या, पूर्वाग्रह,क्रोध अथवा पक्षपात
से सर्वथा परे।

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5 JUL AT 9:30

प्रक्रिया और परिणति में
पक्षपाती मत होना... सखी!
दोनों ही आवश्यक हैं।

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5 JUL AT 9:11

कुछ रास्ते
मंजिलों से अधिक
महत्वपूर्ण होते हैं... सखी!

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5 JUL AT 9:08

अब मैं मात्र एक यायावर हो चुका हूं... सखी!
मंजिल मेरे लिए अब मायने नहीं रखती।

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30 JUN AT 17:46

कभी कभी
जीवन
दैव के स्थान पर
शैतान के पट खटखटा देता है ।

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29 JUN AT 19:48

हमारे माँ बाप जो कहते हैं
वो एक इतिहास होता है;
एक ऐसा इतिहास जो
हमें पता नहीं,
पर स्मरण रहे सखी!
उस इतिहास में कुछ भी निराधार नहीं।

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21 JUN AT 11:19

सत्य बहुदा
असत्य की गहराइयों में
समाधिस्थ होता है... सखी!

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3 APR AT 10:43

सखी...!
गांवों के मरने में
कुछ हाथ उन लोगों का भी रहा
जिन्होंने किया तिरस्कार
अपने पुरखों की बोलियों का,
विकास के नाम पर बोली आंग्ल भाषा
अथवा शहरी शब्दावली,
पर सखी...! एक बात कहूं
आंचलिक बोलियों में
गांवों का अस्तित्व था ।

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29 MAR AT 10:32

बड़े भैया ने कहा कि वह बाप है मेरा,
उसमें दोष देखना का अधिकार नहीं मुझे।
अतः तर्क और बुद्धि को छिटक कर
मैं बस उनकी सेवा कर रहा हूं।

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29 MAR AT 10:28

मैंने पूछा: "अब हिम्मत कहां से आती है?"
उसने कहा:" पापा से... "
मैं चौंका और फिर से प्रश्न किया कि
तुम्हारे पापा तो अब नहीं हैं ।
उसने मुस्कुरा के कहा: हैं... सर्वदा हैं "
पापा देह जगत के बंधनों से परे
विचार थे इसलिए वे मेरे लिए थे,
हैं और हमेशा रहेंगे
और मुझे हमेशा हिम्मत देते रहेंगे।

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