सखी...प्रेम मैं मैंने मस्तिष्क औ हृदय को सदैव असंग रखा है,मात्र आत्मा को ही संग रखा है।क्या पता मस्तिष्क भूल जाए औ हृदय रुक जाए। -
सखी...प्रेम मैं मैंने मस्तिष्क औ हृदय को सदैव असंग रखा है,मात्र आत्मा को ही संग रखा है।क्या पता मस्तिष्क भूल जाए औ हृदय रुक जाए।
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इज्जत के भ्रम के अतिरिक्तमध्यम वर्ग पे और कुछ नहीं होता... सखा! -
इज्जत के भ्रम के अतिरिक्तमध्यम वर्ग पे और कुछ नहीं होता... सखा!
कुछ जिन्दा पीठ...दीवार होना चाहती हैं,होने को आमदा भी हैं।पर... जिन्दा पीठ भला कब दीवार हुईं हैं ?हां...बस होने की स्पृहा अवश्य होती रहीं हैं। -
कुछ जिन्दा पीठ...दीवार होना चाहती हैं,होने को आमदा भी हैं।पर... जिन्दा पीठ भला कब दीवार हुईं हैं ?हां...बस होने की स्पृहा अवश्य होती रहीं हैं।
वक्त का मिजाज कुछ ऐसा रहा कि...शहर बड़े होते चले गए औ घर लघु से लघुत्तम। -
वक्त का मिजाज कुछ ऐसा रहा कि...शहर बड़े होते चले गए औ घर लघु से लघुत्तम।
सावधान...सखा!वे व्यवहारिकता के नाम पर ओछापन परोस रहे हैं। -
सावधान...सखा!वे व्यवहारिकता के नाम पर ओछापन परोस रहे हैं।
प्रकृति पर्याय है सौन्दर्य का,स्वास्थ्य का,जीवन का।पर्यावरण की कीमत पर निर्माण कार्य कोई विकास कार्य नहीं,अपितु विनाश कार्य है। -
प्रकृति पर्याय है सौन्दर्य का,स्वास्थ्य का,जीवन का।पर्यावरण की कीमत पर निर्माण कार्य कोई विकास कार्य नहीं,अपितु विनाश कार्य है।
मैं मोक्ष विचारता हूं,पर...इस गृह पर चल रहीनौटंकियों के देखकर अक्सर...मन बदल लेता हूं । -
मैं मोक्ष विचारता हूं,पर...इस गृह पर चल रहीनौटंकियों के देखकर अक्सर...मन बदल लेता हूं ।
रोग...कविता अनुशीर्षक में पढ़ें। -
रोग...कविता अनुशीर्षक में पढ़ें।
वे जो अयोग्य हैं नौकरी न मिलने परराजनेता बन जाएंगे,फिर योग्यता, अयोग्यता के परे सबका नेतृत्व करेंगे। -
वे जो अयोग्य हैं नौकरी न मिलने परराजनेता बन जाएंगे,फिर योग्यता, अयोग्यता के परे सबका नेतृत्व करेंगे।
सखा!जब प्रेम निज सत् चरम पर होता है तो...भगवान भी प्रेमियों के मध्य से हट जाता है। -
सखा!जब प्रेम निज सत् चरम पर होता है तो...भगवान भी प्रेमियों के मध्य से हट जाता है।