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इक बगल में चाँद होगा
इक बगल में रोटियाँ
इक बगल में नींद होगी
इक बगल में लोरियाँ
हम चाँद पे रोटी की चादर
डाल कर सो जाएँगे
और नींद से कह देंगे
लोरी कल सुनाने आएँगे-
गहरी सी नींद सो जाता हूँ ,
जब-2 माँ लोरी सुनाती है ।
चारों धाम हो जाते हैं मेरे ,
जब मेरी माँ मुस्कुराती है ।
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जुबानी हरकतों को भी वश में करने के लिये लोरिया सुनाना पड़ती है
काटे परोसती वक्त बीतने इसलिये उमीद्दो की घण्टी गुनगुनाना पड़ती है-
तुम्हारी लोरी को सुनकर हर रात सोने की मेरी आदत जो हो गयी थी।
मैं भी यही हूँ, तुम भी यहीं हो, बस अपनी वो लोरी कहीं खो गयी थी।
अल्फाज़ो को हल्की बारिश थी औऱ खामोशी के थोड़े बादल थे बस,
सावन आने के पहले मेरे दिल मे तुम अपने प्यार की बीज बो गयी थी।
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माँ अब मुझे बड़ा भी होने दे..
यह दुनिया इस बच्चे को दबाती है।
अब और मीठी लोरी ना सुना..
यह दुनिया गाली देकर, चैन की नींद उड़ाती है।
- साकेत गर्ग-
इस तरह प्रीत मुझपे लुटाते रहो।
रूठती मैं रहूँ तुम मनाते रहो।
नींद नैनों से जब हो नदारद कभी,
तुम लगा उर से लोरी सुनाते रहो।।-