तुम्हें शायद पता ना हो
कि जब ठण्डी हवा चलती है
पत्ते सरसराते हैं
कोई चिड़िया गगन के तह में
जब निर्द्वन्द उड़ती है
कोई तितली गुलों को
छू कर जब पंखें झटकती है
की जब झरने के छोटे कण
हवा का थाम कर दामन
मेरे चेहरे से लगते हैं
तुम्हारी याद आती है ।-
राणा माधवेन्द्र प्रताप सिंह
(©माधवेन्द्र सिंह "रोशन")
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मैं ब्रह्मा का तपः तेज़ हूँ,
विष्णु का माया नर्तन हूँ ।
मैं शिव का तांडव कराल हूँ,
मैं सृष्टि... read more
विष्णु का माया नर्तन हूँ ।
मैं शिव का तांडव कराल हूँ,
मैं सृष्टि... read more
Joined 19 October 2017
5 JUN AT 1:38
7 MAR AT 18:00
मुझे बदलाव अच्छा लग रहा है ।
मुझे ये घाव अच्छा लग रहा है ।।
मैं इक दरिया के बाहों में दफ़न हूँ ।
मुझे ठहराव अच्छा लग रहा है ।।
पटखनी दे न पाओगे मुझे पर ।
तुम्हारा दाँव अच्छा लग रहा है ।।
ना बिकने का इरादा कर लिया तो ।
हमारा भाव अच्छा लग रहा है ।।-
16 FEB AT 20:32
गजब ये हो गया मुझको गले लगाये बिना ।
वो शख़्स सो गया मुझको गले लगाये बिना ।।
मैं उसका हो नहीं पाया गले लगाकर भी ।
वो मेरा हो गया मुझको गले लगाये बिना ।।-
30 DEC 2022 AT 21:39
दिसम्बर और जनवरी में फरक होता है लम्हें का ।
यही लम्हा मोहब्बत है यही लम्हा जुदाई है .... ।।-
26 DEC 2022 AT 20:21
मंजिल से डर लगता है
डर इस बात का
कि ये सारे द्वन्द्व
उम्मीद
सफ़र की कश्मकश
ये कल्पनायें
ये आँसू
ये लोग
प्रतिस्पर्धायें
सब खत्म हो जायेंगी
और बचेगी
एक कील
जिसे मेरे नाम और उपनाम के
बीच में ठोक दिया जायेगा ।।-