राणा माधवेन्द्र प्रताप सिंह   (©माधवेन्द्र सिंह "रोशन")
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Joined 19 October 2017


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EMRS SCHOOL की राजनीति और हम
(ग़ज़ल)
(अनुशीर्षक में)

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मुझे बदलाव अच्छा लग रहा है ।
 मुझे ये घाव अच्छा लग रहा है ।।

 मैं इक दरिया के बाहों में दफ़न हूँ ।
 मुझे ठहराव अच्छा लग रहा है ।।

 पटखनी दे न पाओगे मुझे पर ।
 तुम्हारा दाँव अच्छा लग रहा है ।।

 ना बिकने का इरादा कर लिया तो ।
 हमारा भाव अच्छा लग रहा है ।।

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गजब ये हो गया मुझको गले लगाये बिना ।
वो शख़्स सो गया मुझको गले लगाये बिना ।।

मैं उसका हो नहीं पाया गले लगाकर भी ।
वो मेरा हो गया मुझको गले लगाये बिना ।।

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दिसम्बर और जनवरी में फरक होता है लम्हें का ।
यही लम्हा मोहब्बत है यही लम्हा जुदाई है .... ।।

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मंजिल से डर लगता है
डर इस बात का
कि ये सारे द्वन्द्व
उम्मीद
सफ़र की कश्मकश
ये कल्पनायें
ये आँसू
ये लोग
प्रतिस्पर्धायें
सब खत्म हो जायेंगी
और बचेगी
एक कील
जिसे मेरे नाम और उपनाम के
बीच में ठोक दिया जायेगा ।।

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