तुम्हारे दूर जाते ही,
हमने बेवफाई कर ली है ।
तुम्हारी जगह हमने ,
सिसकियों से रिश्तेदारी कर ली है।।-
भूल जाओ सारी रिश्तेदारी
घर न बुलाओ कोई बीमारी
वायरस मौका ढूँढ रहा है
जाने कब है किसकी बारी-
तुम्हारे माँ-बाप,
रिश्तेदारी,
दुनियादारी
के मना करने पर भी,
अगर उसके दोस्त हो तुम
तो सुनो,
उसके 'दोस्त' हो तुम!
- साकेत गर्ग 'सागा'-
जो सुनी सुनाई बातों पर यकीन करें !
ऐसे रिश्तो का क्या फायदा..!-
इक शख़्स से ये कैसी रिश्तेदारी रही
उसके हर सुख दुख में हिस्सेदारी रही l
मैंने माँग कुछ पल का साथ सफर में
वो बात फिर मेरी जिंदगी में भारी रही l
मैं जो देखता हूँ वही तो फिर लिखता हूँ
वो कहते हैं मुझे शक की बीमारी रही l
जानकर भी वो यूँ अनजान बन जाते हैं
मेरे ख्यालों में उसकी ही तो खुमारी रही l
उसे मालूम है जिंदगी ने सताया मुझको
आने में अब बस मौत की ही बारी रही l
भरोसा तोड़ कर एतबार मुझे सीखते हैं
वो भूल गए कुछ शर्ते अधूरी हमारी रही ll
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दिल और दिमाग के बीच की रिश्तेदारी थी
आखिरकार खत्म तो होनी ही थी ।।।-
नहीं चाहिए हमें किसी की दोस्ती,
नहीं चाहिए हमें किसी की यारी।
नहीं रखनी हमें किसी से भी अब रिश्तेदारी।।-
तंगी, परेशानी,मुश्किल हालात से घिर जाएंगे
रिश्तेदार साथ दिखने का दावा करेंगे
काम नही आएंगे...-
मैंने अदब से रिश्ते निभाना सीख लिया,
कुछ कागज़ के टुकड़े दे कर आशीष पाना सीख लिया।
वो "रिश्तेदार" जो कहते हैं खुद को अपने हैं,
तौल रुपयों में उनको अपनाना सीख लिया।
पराए हैं हम, उन्हें याद भी ना,
ज़रूरत पड़ने पर उनका "सगा" कहलाना सीख लिया।
सिक्कों की खनक नहीं, नोटों की चुप्पी में यूं बातें समझाना सीख लिया।
मैंने अदब से रिश्ते निभाना सीख लिया।।
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हर बात दिमाग़ से नहीं मन से भी सोचनी चाहिए,
रिश्तेदारी और दोस्ती दिल से ही निभानी चाहिए..!-