मेरा पहला तोह़फा
जब मैं तुमको पहला तोहफ़ा दूंगी
वो मैं तुम्हें न देकर मां को दूंगी ,।
क्योंकि तुम उनके बिना कुछ भी नहीं
तो तुमसे , पहले हमेशा मां होगी ।
और वो न तुम्हारी मां होगी ,न मेरी होगी
वो बस हमारी मां होगी ।।
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अगर हुआ तका़बुल तेरा और मेरा
तो क्या पूछ सकते हैं तुमसे
खैरियत में है तो कोई मेरा ?-
मित्र का सारथी का होना जरूरी नहीं है ।
जितना सारथी का मित्र होना जरूरी है।।-
प्रेम हो या नदी थाह मिलना जरूरी है ।
अक्सर अथाह में होने से इंसान डूब जाता है ।।-
बड़े घर की बहू
बड़े घर की बहूओं को सबकुछ मिलता है बिना उनके मांगे ही , सिवाय वो बस नहीं मिलता जो वो चाहती है ।
उन्हें लाद तो दिया जाता है सोने के जवाहरातों से , लेकिन उन्हें आजादी नहीं होती बाहर जाने की ।
उस मंगलसूत्र की गांठ बंधते हैं ही वह कैद हो जाती है एक आलिशान घर में ।
उन विदाई के आंसुओं के साथ- साथ में बह जाती है उनकी ठहाके वाली हंसी।
वो दोतरफा वचन लिए तो जाते हैं यकीनन वो एकतरफा होते हैं ।
उसके सपनों को उसी चौखट में दफना दिया जाता है जहां उसका होता है गृह प्रवेश ।
रहने होता उसे उस घर में खुश होकर क्योंकि वो एक बड़े घर की बहू जो होती है ।।
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यकीं सा नहीं रहता है मुझे खुद पर ,
लेकिन तुम करना हमेशा मुझ पर ।
अगर मैं न पकड़ सकूं तेरा हाथ ,
तो तुम जरूर पकड़ लेना कसकर ।।-