Fauji Munday Sohanlal Munday   (फौजीमुंडे Sohanlal मुंडे)
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Joined 7 August 2018


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25 AUG 2022 AT 11:50

एक लेख

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15 AUG 2022 AT 16:12

सावन आया भादो आया
और आया राष्ट्र पर्व आजादी का l
जन गण मन के गान से
गुंज उठा कोना कोना वादी का l

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13 AUG 2022 AT 22:32

जीने से पहले क्यूँ मौत को स्वीकार करूँ
इस जीवन की जीवन मे क्यूँ हार करूँ l

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12 AUG 2022 AT 22:53



भारत धरा पर तिरंगा प्यार मिलकर अब फेराए
तीन रंगो की ओढ़ चुनरिया सज धज के इतराए
मातृ भूमि की सोंधी खुश्बू से मन अपना महकाये
देश भक्ति गीत अनेको आज सब मिलकर गाये l

ये देश है ऐसे वीरो का दुश्मन के शीश झुकाये
खुद झुके नहीं पीछे हटे नहीं प्राण जाये तो जाये
जब जब देश पर हमारे कोई खतरा मंडराये
हर्ष उल्लास से जवान हमारे जंग मैदान मे जाये l

सुन्दर वतन हमारा तिरंगा हमारा शान से लहराये
इसकी आन बान शान के लिए जवान प्राण गवाये
वो हुआ अमर कफ़न मे जिसे तिरंगा नसीब आये
इसकी छात्र छाया ऐसी जैसे माँ कोई सर सहलाये l

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12 AUG 2022 AT 22:43



भारत धरा पर तिरंगा प्यार मिलकर अब फेराए
तीन रंगो की ओढ़ चुनरिया सज धज के इतराए
मातृ भूमि की सोंधी खुश्बू से मन अपना महकाये
देश भक्ति गीत अनेको आज सब मिलकर गाये l

ये देश है ऐसे वीरो का दुश्मन के शीश झुकाये
खुद झुके नहीं पीछे हटे नहीं प्राण जाये तो जाये
जब जब देश पर हमारे कोई खतरा मंडराये
हर्ष उल्लास से जवान हमारे जंग मैदान मे जाये l

सुन्दर वतन हमारा तिरंगा हमारा शान से लहराये
इसकी आन बान शान के लिए जवान प्राण गवाये
वो हुआ अमर कफ़न मे जिसे तिरंगा नसीब आये
इसकी छात्र छाया ऐसी जैसे माँ कोई सर सहलाये l

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12 AUG 2022 AT 22:37



भारत धरा पर तिरंगा प्यार मिलकर अब फेराए
तीन रंगो की ओढ़ चुनरिया सज धज के इतराए
मातृ भूमि की सोंधी खुश्बू से मन अपना महकाये
देश भक्ति गीत अनेको आज सब मिलकर गाये l

ये देश है ऐसे वीरो का दुश्मन के शीश झुकाये
खुद झुके नहीं पीछे हटे नहीं प्राण जाये तो जाये
जब जब देश पर हमारे कोई खतरा मंडराये
हर्ष उल्लास से जवान हमारे जंग मैदान मे जाये l

सुन्दर वतन हमारा तिरंगा हमारा शान से लहराये
इसकी आन बान शान के लिए जवान प्राण गवाये
वो हुआ अमर कफ़न मे जिसे तिरंगा नसीब आये
इसकी छात्र छाया ऐसी जैसे माँ कोई सर सहलाये l

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30 JUN 2022 AT 11:37

गर्मी है तो गर्मी को एक सजा दीजिये
बारिश का मौसम है कोई पेड़ लगा दीजिये ll

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19 JUN 2022 AT 22:15

पिता के कंधे लोहे से ज्यादा मजबूत होते है
तभी तो सारे बोझ उनके कंधों पर झूलते रहते है l

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16 JUN 2022 AT 17:29

मुनासिब नहीं हाथों मे पत्थर,और खंजर
इंसानियत के लिए हसीन नहीं है ये मंजर l

इंसानों की भीड़ मे इंसान नहीं है ये
धर्म मजहब की लड़ाई मे जो कूदे है बंदर l

थक गया है आदमी आदमी से लड़ते लड़ते
हालात क्यूँ ऐसे पैदा हो गए देश के अन्दर l

मासूमों की चिताओं का धुंआ चारों और
लोगों की आँखों मे भर आया है समंदर l

ईश्वर एक है फिर नासमझी क्यूँ इंसान मे
कहीं पर तोड़ रहे है मस्जिद कहीं मंदिर l

हर दिन काला है हर रात सियाह बन रही
खून से लथपथ हर दिन का कैलंडर l


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15 JUN 2022 AT 20:22

मै सच लिखूंगा कुछ और नहीं
इंसानियत का तो ये दौर नहीं l

कुछ लोग बिगाड़ रहे भाई चारे को
धर्म मजहब मे बाँट रहे अब सारे को l

न भगवान ने कहा न अल्ल्हा ने कहा
इन मंदिर मस्जिद गिराने को
जागते जागते तुम सो रहे हो
क्यों हिन्दू मुस्लिम हो रहे हो
ये सोचना कभी सोते सोते
लगा कर सर अपने सहराने को l

अतीत की बातों को न खुरेदों
अतीत मे तो न जाने क्या हुआ होगा
अब अतीत पर कोई अपना जोर नहीं
मगर भविष्य के जिम्मेदार हम है कोई और नहीं l

अतीत मे तो दलितों पर भी अत्याचार थे
उनकी आँखों मे आँसू दामन मे बड़े ख़ार थे
न उनके जीवन मे पहले कोई स्वभिमान था
उच्च वर्ग के लोग मे उनका होता अपमान था
अब छोड़ो उन बातों पर भी कोई शोर नहीं ll

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