Nikki Prabha Tiwari   (Nikki Prabha)
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Joined 30 January 2017


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Joined 30 January 2017
30 JAN 2022 AT 23:21

हवा मुझको गले लगाती है कस कर,
बातें करती हैं ये वादियां मुझसे हंस कर।
पहाड़ों से आती सदा मुझसे बोली,
जी ले तू भी ज़रा मेरी पनाहों में बस कर।।— % &

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10 JAN 2021 AT 10:49

हुआ यूँ, जो बिखरे केश उसके, चाँद पर बादल से हो गए,
फिर दिल पत्थर रखने वाले भी इश्क़ में पागल से हो गए।।

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1 AUG 2020 AT 18:38

शाम ढले, गंगा के तीर, प्रियतम प्यारे ले चलना,
हाथ थामे मेरा, मुझको अस्सी किनारे ले चलना।।

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30 MAR 2020 AT 21:15

वो तीर इश्क़ का, इस पार से उस पार कर गए,
दिल में पतझड़ का मौसम था, वो बाहार कर गए।।

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28 MAR 2020 AT 21:11

कई अर्से बाद इस दिल का मेहमान बन के,
इश्क़ आया है फिर होंठों पर मुस्कान बन के।।

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11 NOV 2019 AT 16:55

ऋतु वसंत सा होने को लपेटती हूँ कई रंग नकली खुद पर,
और दिखावों इन रंग के भीतर, टूटती हूँ हर रोज़ पतझड़ सी मैं।।

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3 NOV 2019 AT 16:21

लफ्ज़ मुश्किल होने लगे जो तारीफ को तेरी,
मैंने आसान तरीका सोचा, तुझे मोहब्बत लिख दिया।।

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9 MAY 2019 AT 14:32

भरने से पहले कुरेद जाती है पुराने ज़ख्म मेरे,
बैरन हवा अपने संग महक तेरी ले आती है।।

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20 JAN 2019 AT 10:37

कुछ इतना तू मुझसे करीब हो जा,
बस जा यूँ दिल में कि हबीब हो जा।।

लोग कहते हैं क्यों बदकिस्मत मुझे,
इक काम कर तू मेरा नसीब हो जा।।

हर रोज़ लड़ रही दर्द-ए-दिल से मैं,
क्यों ना दर्द का मेरे तू रकीब हो जा।।

उलझे हुए हैं हम तारों में ज़िन्दगी के,
तू सुलझाने की कोई तरक़ीब हो जा।।

कर ले झूठी ही, थोड़ी मोहब्बत हमसे,
इतना करम कर, थोड़ा नजीब हो जा।।

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4 DEC 2018 AT 11:22

लिख-लिख कर कलम-स्याही से उसे,
दिल से बहा दूँगी, सोचा!
वो सागर सा बसा था दिल में आखिर,
बूँदों से खाली कैसे होता।।

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