हवा मुझको गले लगाती है कस कर,
बातें करती हैं ये वादियां मुझसे हंस कर।
पहाड़ों से आती सदा मुझसे बोली,
जी ले तू भी ज़रा मेरी पनाहों में बस कर।।— % &-
Bangalorean
Simple writer, complicated women
insta: k.h.a.y.l.i_pulao
Watch my latest... read more
हुआ यूँ, जो बिखरे केश उसके, चाँद पर बादल से हो गए,
फिर दिल पत्थर रखने वाले भी इश्क़ में पागल से हो गए।।
-
शाम ढले, गंगा के तीर, प्रियतम प्यारे ले चलना,
हाथ थामे मेरा, मुझको अस्सी किनारे ले चलना।।-
वो तीर इश्क़ का, इस पार से उस पार कर गए,
दिल में पतझड़ का मौसम था, वो बाहार कर गए।।-
कई अर्से बाद इस दिल का मेहमान बन के,
इश्क़ आया है फिर होंठों पर मुस्कान बन के।।-
ऋतु वसंत सा होने को लपेटती हूँ कई रंग नकली खुद पर,
और दिखावों इन रंग के भीतर, टूटती हूँ हर रोज़ पतझड़ सी मैं।।-
लफ्ज़ मुश्किल होने लगे जो तारीफ को तेरी,
मैंने आसान तरीका सोचा, तुझे मोहब्बत लिख दिया।।-
कड़ी मशक्कत से यारों मिलता है हीरा,
आसानी से तो केवल पत्थर मिलते हैं।।-
मीचो आँखें, उसे याद कर, तुम इबादत करो ज़रा,
जो छुप कर सपनों में आता है उसकी खुशामत करो ज़रा।।
लहराती हैं लटें, हवा सहला कर उनको इतराती है,
छू कर तो देखो तुम भी उनको, अब शरारत करो ज़रा।।
फिर करो आँखें चार, की बातें आँखों ही आँखों में हों,
लफ़्ज़ों का मोल भाव भी हो, अब तिजारत करो ज़रा।।
उसके बाद कभी हँसी, और कभी कभी हो नाराज़ी,
अपने मन से कब तक अनबन अब उनसे शिकायत करो ज़रा।।
दे भी दो दिल को आज़ादी, बैर की कड़ी बेड़ियों से,
कब तक रखोगे दिल में नफ़रत, अरे मोहब्ब्त करो ज़रा।।-
वो आँखें,
जिनमें एक स्त्री
लिए रहती है,
हर किसी के लिए
इज़्ज़त और मोहब्ब्त।।
(अनुशीर्षक में पढ़ें..)-