स्वेद शोणित के साथ, कर्म का मैं श्रृंगार करूँ,
ना बनूँ अर्जुन यदि, केशव की क्या आस करूँ-
वो हम सब युवाओं के मार्गदर्शक हैं !!
वास्विकता में वो ही पथ-प्रदर्शक है !!
सिंधु से शिकागो तक हिंदुत्व की दमक थी !!
तब सूर्य से भी तेज उनके चेहरे पे चमक थी !!
शून्यकाल में दिया उनका भाषण अविश्वसनीय था !!
उनकी अभिव्यक्ति भी अविचलित और अद्वितीय था !!
सलमान और हृतिक में खुद को हम ढूंढने लगे है !!
गलती से कीचड़ में ही हम कस्तूरी खोजने लगे है !!
आज हम सब युवा उनको आदर्श मानना क्यों भूल गए है !!
इसलिए तो पश्च्यात परंपरा में अपनी माटी के मूल गए है !!
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बात इश्क़ की आती है तो हर आशिक जाग जाता है
उम्र का तकाजा फ़िर कभी दिया नहीं जाता है..
चेहरे पर पड़ती झूरियों से भी आवाज आने लगती हैं
कि जनाब दिल तो बच्चा है जी
पर मुझे समझ नहीं आता है
कि बात देश की आती है तो हम क्यूँ पीछे हट जाते है
युवाओं की परिभाषा में ही क्यूँ हम बँध जाते हैं
क्या कोई उम्र चाहिए तुम्हें सच में इस देश की सेवा करने को
तो फिर किसके इंतज़ार में हम बैठे वक़्त गवाते हैं
हर कोई यहाँ युवा है तो चलो अपने देश का भार उठाते हैं-
रूख बदलेंगी हवाएँ भी बस तेरे हुंकार करने से
पत्थर दिल भी पिघलेगा सिर्फ़ तेरे प्यार करने से
तेरे जोश और जुनून की ही तो है सब मुनादी
क्या है हाँसिल ओरों के भरोसे इंतज़ार करने से
बाधाएँ सारी नतमस्तक है बस हौंसलों के आगे
काली रातें भी चमकेगी ख़ुद को अंगार करने से
मुश्किलों के पहाड़ भी अक्सर बौने रह जाते हैं
दर्द और तकलीफ़ों के तुफानों को ज्वार करने से
हालत बहुत नाजुक है देखो तो बदलते भारत की
हाँ! ये संवर सकती है बस ख़ुद को तैयार करने से
हर हाथ हथियार हो ये भी तो नहीं कहता 'प्रवीण'
पर किस्मत भी बदलेगी ख़ुद को औजार करने से-
जो आत्मनिर्भर हो,जो दूसरों की सहायता करता हो ,धर्म का सदुपयोग, समय का सुनियोजन एवं सदुपयोग ,शारीरिक संतुलन, मानसिक संतुलन, स्वयं का अध्ययन करता हो, सत्साहित्य का स्वाध्याय, कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प, स्वच्छता, सुव्यवस्था, सुसंगति,
विचारों में पवित्रता, सकारात्मक सोच, स्वस्थ जीवन, शालीनता, सज्जनता हँसमुख, शिष्ट एव विनम्र व्यवहार ही युवावस्था की पहचान कराते हैं।
जिनमे ये गुण है वही युवा कहलाता है।
धर्म और संस्कृति के महान उन्नायक स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन। ❤❤❣🚩🙏🙏(गिरि अमरेश)
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मौत अगर आयी सामने
तो उसे भी मुझसे लडना होगा,
मंजिल जब तक नहीं मिलती
उसे भी इंतजार करना होगा!!!
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अनुभव कितना है ये शायद जरूरी नहीं
कुछ अलग होना भी शायद जरूरी नही
न रुकना, न थमना ,हाँ ये शायद जरूरी है
तुम्हारी ललक को उस खुदा की मंजूरी है
यूँ मैं, मेरा अपना ,तो सब करते हैं प्यार से
कुछ उसका, उनका भी बदले ,हकीकत की दुनिया इतनी अधूरी नहीं-
मेरे देश के एक युवा ने शिकागो में एक ऐसा भाषण दिया था जो आज तक हर युवा के दिल मे जगह बनाए हुए है पूरे विश्व ने भारत को पूरे अभिमान के साथ देखा था ।
उसी भाषण में बोला था "उठो जॉगो और लक्ष्य प्राप्त होने तक मत रुको"।
उस युवा ने पूरे देश को विश्व के अटल पर लाकर खड़ा किया था लेकिन आज के उस युवा को पता नही किसने बताया है ये की "उठो नशा करो और सो जाओ" "उठो जाती के नाम पर लड़ो और सो जाओ" "उठो और बिना कुछ अच्छा किये सो जाओ" ।
लेकिन चलो मिलकर करते है एक ऐसे राष्ट्र का निमार्ण जिसके अंदर आने वाला युवा सिर्फ और सिर्फ सरफरोशी की तमन्ना लेकर जन्म ले और इंक़लाब के साथ खुद को इस देश पर क़ुर्बान करदे।।
#युवा #दिवस🙌-
क्यों करता है तू आलस्य,क्यों चाहिए तुझे आनन्द?
तू भी तो युवा है ! तू क्यों नहीं बनता विवेकानन्द ?-
ओजस्वी मुख और गेरुआ वसन,
वाणी से उनकी झरते प्रखर वचन।
सन्यासी जो लक्ष्य साधना सिखाते,
भटके युवा को उचित मार्ग दिखाते।
सागर पार दिखलाई अपनी प्रतिभा,
भारत के मूल्यों की दमकाई आभा।
देकर भाइयों और बहनों का संबोधन,
विदेश में भी किया संस्कारों का वहन।
वक्ता, जिन्हें सुनकर मिले परम आनंद,
रामकृष्ण के शिष्य, वह है विवेकानंद।-