इम्तिहान रखा हुआ है ....
लेकिन उन परिंदों को क्या मतलब है हार जीत से बस उन्होंने तो उड़ने का एक ख्वाब ज़िन्दा रखा हुआ है ...!!!-
Joining URkute @15 Sept 2017😊
#writerbyheart
#मिस्त्री by ... read more
जिनके मुकद्दर में इतिहास लिखना हो उन्हें एक असफलता से तुम हिला नही सकते....!
आएंगे तो तूफान भर भर के रास्ता रोकने लेकिन जो चट्टान हौंसलो से बने हो तुम उन्हें मिटा नही सकते...!!-
जो कल तक सिर्फ मेरा होने का वादा कर रहे थे ...!!
लेकिन मैंने देखा अभी अभी झाँक कर उनकी आँखों में तो वो तो काफी वक्त से जाने का इरादा कर रहे थे ...!!!-
🔥 मंज़िल ने कहा मुझे पाना आसान नही है ।
मैंने भी कह दिया उसकी आँखों मे आँखे डालकर मुझे गिराना आसान है क्या ?! 🔥
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गम दबाकर सो जाता हूँ।
डर है कि अगर बाहर निकाले तो लोग कहीं चादर ही ना उतार फैंक दे।।-
अपनी नाकामी का |
उठो और लगातार मेहनत करो जब तक रंग ना चढ़ जाए कामयाबी का||
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मैं एक हफ्ते में उस मोहब्बत को मुकम्मल कर लेना चाहता हूँ...!!!
जिसको पूरा करने में ग़ालिब ने अपनी उम्र गुज़ार दी ..!!
मैंने उठाया है इश्क़ का कागज़ अपने हाथों से सिर्फ जिस्म लिखने को ....!!
लेकिन ग़ालिब ने उठाई कलम तो जिस्म से निकालकर रूह उसी कागज़ पर उतार दी ।।।
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वो चंद गोरे लोग आए थे व्यापारी बनकर इस देश में ..
भोले भाले मेरे देश के लोगों को बहला गए अपने सूट टाई वाले भेष में ।।
धीरे धीरे सब लूटना उन्होंने शुरू किया पहले यहाँ की शिक्षा को खत्म किया खत्म किया धीरे धीरे किसानों को ।
फिर खत्म किया यहाँ के बाजार में भारत की चीज़ों को और आखिर में मौत के घाट भी उतारा काफी क्रांतिकारियो को ।।
ना जाने क्यों आज बस वो गोरा रंग बदल गया है लेकिन कोई हमे आज भी लूट कर खा रहा है ।
किसानों को सड़कों पर रुला रहा है ।
शिक्षा को छोड़कर सभी चीज़ों इस महामारी में भी चला रहा है ।
बाजार की बात तो ना करे हम अच्छा है आत्मनिर्भर भी गुलाम करने के लिए बनाया जा रहा है ।
बस इतना जान लो हुक्मरानों तब भी कोई भगत सिंह आया था और आज भी आएगा ।
कहाँ रहा था सिकंदर भी दुनिया मे दुनिया ही जीतकर एक दिन तू भी वैसे ही जायेगा ।।
कुछ काले और गोरे दोनों आये है व्यापारी के भेष में दोबारा इस देश मे 👊
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कितना मुश्किल होता है एक मोमबत्ती के लिए दूसरों को रोशनी देना खुद को जलाकर....
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"माँ"
तू तो सबको जन्म देती है ना माँ फिर सड़क पर क्यों वो भीख मांग रहे होते है।
तू ही तो कहती है बेटा हमेशा सबका भला करो फिर कैसे सभी तेरी ही बेटी को नीलाम होते देख रहे होते है।।
तूने ही तो सिखाया है ना माँ की किसी गरीब की सेवा करो फिर कैसे सबसे ज्यादा भूखे हमारे चारों तरफ सोते है।
तूने ही तो सिखाया है की हर इंसान में रब्ब बस्ता है फिर कैसे इतने दरिंदे घूम रहे होते है।।
माँ तूने तो अक्सर ही सबको एक जैसा माना है ना फिर क्यों इस देश मे आज भी एक को छोटा तो एक को बड़ा मानकर उसकी पगडी उछाल रहे होते है।
और जब यह सब हो रहा होता है तो तेरे वो जिगर के टुकड़े कहाँ सो रहे होते है।।-