तुम्हारे आने का इंतज़ार हम बहुत बेसब्री से कर रहे हैं
वैसे भी मौत और महबूब क्या फर्क गले दोनों से मिलना है-
यही एक ख्याल तो दिल में हमारे बार बार आता है
लहजा बदल लिया क्या फूल पे कभी खार आता है-
शायद
तुम अपनी ये
शर्म
दुनिया के
सामने
जाया कर रही हो
इससे
कुछ होगा नहीं
बस अपनी
उस
अदाओं का
नुमाया कर रही हो-
आजकल समय की रफ्तार बहुत तेज है
शायद मैं ही अब आगे बढ़ना नहीं चाहता-
आजकल तन्हाई में एक बात बहुत अच्छे से समझ आ गई
शहनाई में थिरकने वाले में और मातम में बिलखने वाले में-
ये बिंदिया, ये काजल, ये झुमके, ये जेवर
मैं नहीं रहूँ तो सब कुछ फिजूल है तुम्हारा-
फकत इस तिरगी में भी मैं तुझे ढूंढता फिर रहा हूँ
और उधर तुम किसी और का ख्याल बुन रही होंगी-
जरा ख्याल कर तुझसे किस दर्जे कि मोहब्बत है मुझे
तेरी मनाही है और तुझसे ही मिलने कि जरूरत है मुझे-
अपनी विवशता सभी जाहिर करने में लगे हैं
खुदगर्जी में ही खुद को ताहिर करने में लगे हैं
रात जग कर बितानी पड़ रही है इधर और वो
यहाँ मोहब्बत के लिए माहिर करने में लगे हैं-
नैन है उनके मतवाले
बाल है उनके घूँघराले
कहने को तो है शहजादी
पर हाथ में उसके है छाले
चाल है नागन के ही जैसी
अदाएं मदहोश करने वाले-