Nikita Upadhayay   (अहिमसा)
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Joined 14 November 2017


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Joined 14 November 2017
24 SEP 2023 AT 9:08

जीवन में उजालों को भर देती हैं पर कभी क्रेडिट नहीं लेती हैं
आज सत्ता से लेकर मातृत्व का पद ,सब कुछ ही संभाल रही हैं
गिरने न देंगी, ऐसी शिला हैं वो, जाने कितने जीवन की उम्मीद,उनकी संजीवनी , उनकी ढाल रही हैं
आज बाहरी सौन्दर्य से ज्यादा, अदंरूनी क्षमताओं से
हर संभव सब कुछ कर देती हैं
बेटियां ही तो हैं, जीवन में रंग
रंगत भर देती हैं।।
Happy daughters day .

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6 AUG 2023 AT 10:13

Friendship day

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27 JUN 2023 AT 8:56

28 APR 2023 AT 8:01

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14 APR 2023 AT 20:29

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21 MAR 2023 AT 8:51

धूमिल होती तस्वीरों में
जो शब्दों से जीवन भर दें
तुम्हारे अंतर्मन की निशा में जो
कुछ पल जुगनू सा रोशन कर दे
काफिले से अलग
जो तुम्हें सोच का ठहराव दे
इस आक्रोशित संवादों की दुनिया में
जो तुम्हें सरल सहज सा स्वभाव दे
चलते चलते बिखरो न तुम
ऐसा साहस तुमको दे जाती
शब्दों से कहें बिना
लिखी कलमें सब कह जाती
जैसे जीवन रूपी ज्ञान समाहित
करती भगवदगीता है
वैसे ही कला की दुनिया में
होती सुंदर " कविता" है।।
#worldpoetryday😌

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8 MAR 2023 AT 9:06

ठंडी हवा सी थपथपी
बहते पानी सी मुस्कान
सुगंधित फूलों सी सुबह
तिलमिलाती गर्मी सा जीवन
और उसमें किसी
बरगद के पेड़ सी छांव
खिलखिलाता मन का आंगन
जैसे त्योहारों में होता गांव
अंदर के सारे द्वन्दों में
जब मने शीतलता
की होली
ऐसे ही सबकी भगवन
भर दो सारी झोली
दिल से फिर निकलेगी सबकी
हैप्पी हैप्पी होली।।

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9 FEB 2023 AT 21:01

तिजोरियों में संभाल कर
रख रहे हैं हाल ए किस्से कहानियां
क्या पता कौनसा दर्द कब
मर्ज ए दवा बन जाये ।

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30 DEC 2022 AT 16:01

नया साल ,नया सफर ,नये हम....
हां ,बीत गया साल और नया आने को है
कुछ खोया होगा सबने कुछ नया पाने को है
कभी रातें गहरी भी हुई होंगी कभी सुबह खिलखिलायी होगी
कभी दो पल का सूकून भी होगा कभी कहानी मुरझाईं होंगी
कभी काफिला देखा होगा कभी अश्रु की पीर बहाई होगी
कोई ख्वाहिश आपबीती कहानी का बस्ता लिए
कितनी राहें तुम्हें सताई होंगी
जब जब महसूस हुआ होगा कि कितनी बेरूखी है जिंदगी
अपने मन को हल्की हल्की सी उम्मीद तुमने जताई तो होगी
लक्ष्य सफर दफ्तर रिश्ते संसार, जो भी कुछ है
हर दिन चलते रहने की उम्मीद तुमने दिखाई तो होगी
यकीनन दोस्तों बहुत कुछ सीखा बहुत कुछ जाना
तस्वीरों और तुलना की दुनिया से परे है जिंदगी
भलीभांति पहचाना
सबके हालात और जज्बात अलग हैं,सबके किस्से कहानियां अलग हैं पर
आहिस्ता आहिस्ता ही सही तुम चलो अगले वर्ष भी चलते रहो
हर साल थोड़ी और हिम्मत के साथ,हर साल कुछ बेहतर करने के साथ ,तुम चलो बस चलते रहो
खुशी मायूसी चाहे जैसे भी बिखेरे रंग ये जिंदगी
तुम जियो जीते रहो
बस चलो चलते रहो।।

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27 NOV 2022 AT 8:20


रहमत है उस खुदा की ,जो
इतना सबर और हिम्मत दी
हवाओं के डर से थम जाऊं
अब वो परिंदा नहीं हूं मैं।।

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