वादा करो कि कभी एक साथ नहीं रूठना
मैं रूठ जाऊ, तो फिर तुम ना रूठना,
इश्क़ में आएंगे तूफान हिज्र के
नाजुक पलों में साथ ना छोड़ना
तन्हाईयाँ घेर लेती है,पाकर अकेला मुझे
मुझे एक पल भी तुम अकेला ना छोड़ना
डालेगें बेड़ियां मजहब की ये दुनिया वाले
हम परिंदे इश्क़ के,हमे क़बीला ना देखना
वफ़ा रही प्यार में तो शहर-ए-इश्क़ मिल जाएगा
तसर्रूफ़ात की दुनिया से हमे पता ना पूछना
मोहब्बत दिल मे रहे, दिमाग़ को पागल ना करे
लेकर कच्चा घड़ा,पानी में ना कूदना
टूट जाऊँगा कांच सा,साथ जो छोड़ दिया
इश्क़ के मारो में "मुनीश"का नाम ना जोड़ना
-