गर आना हो तो जिस्म से परे, मेरी रूह का सफ़र तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे, मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना
मैं ज़िद्दी हूँ कुछ बातों में, दिल डरता है अक्सर रातों में
मेरी नासमझी पर,बेफिक्री पर, थोड़ा सा सबर तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे , मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना
कभी सरदी में,कभी गरमी में, थोड़ी सख़्ती से,कुछ नरमी से
मेरे आने की,कुछ खाने की, बेबाक इक फिकर तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे , मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना
मेरे सवालों में,मेरे ख्यालों में, बेमौज भटकते हालों में
कभी सुन लेना,कभी कह देना, बस वहीं पे बसर तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे , मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना
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