बाजत नगारे घन, ताल देत नदी नारे,
झींगुरन झांझ भेरी बिहंग बजाई है।
नीलग्रीव नाच कारी कोकिल अलाप चारी,
पौन वीन धारी चाटी चातक लगाई है।।
मनि माल जुगनू मुबारक तिमिर थार,
चौमुख चिराग चारु चपला चलाई है।
बालम विदेस नए दुख को जनम भयो,
पावस हमारे लाई बिरह बधाई है।।
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