किताबो ने ज़िन्दगी का वो सबक ना दिया जो ज़िन्दगी के संघर्ष ने दिया......
ज़िन्दगी के संघर्ष से अनुभव हुआ कि हमारी ज़िन्दगी का आधार ही संघर्ष है....
ज़िन्दगी ने इतना धैर्य दिया कि हर पल में खुशियां ढूंढ ली हमने.......
ज़िन्दगी का हर पड़ाव हमें एक अनुभव दे जाता है जो मानो तो बहुत कुछ ना मानो तो कुछ भी नही.......
ज़िन्दगी के बारे में जितना लिखू उतना कम है क्योकि ये शब्दो से नही हालातो से बयान होती है.....
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जिंदगी इस मुकाम पर आ गई है,
अब हर तकलीफ़ हंसा देती है मुझे,
और अब हर दिलाशा रूला देता है,
पहले होती थी तकलीफों से परेशान,
अब तो इन तकलीफों के साथ जीने
की आदत सी ना जाने क्यूं हो गई है।-
बहुत मेहनत लगती है, जनाब
कोई मुकाम हासिल करने में , लोग दो पल में
उसे किस्मत का नाम दे देते हैं।-
ज़हन में मैं ऐसा सफ़र सोचता हूँ,
जुदा सबसे अपना मुकाम सोचता हूँ!
मेरे दिल से तेरे दिल तक, मैं पहुँचूँ,
बने ऐसी कोई डगर, मैं सोचता हूँ!
चलो इस बहाने मैं तुम से मिलूंगा,
बुरा क्या है खुद पे अगर सोचता हूँ!
मुक़म्मल मेरा फ़ैसला क्यूँ न होगा,
मैं हर बात पे सिर्फ तुम्हे सोचता हूँ!
बहुत मिल चुका ख़्वाबों में अब तक,
मिलन की मैं सूरत दिगर सोचता हूँ!
उधर जान लेते है जाने वो कैसे,
वो हर बात जो मैं इधर सोचता हूँ!
पराया मैं खुद को भी लगता हूँ उस दम,
मैं रिश्तों से ज़्यादा तुम्हे सोचता हूँ!-
जिंदगी में "बड़े मुकाम" पर पहुंचकर सबसे "जरूरी" है,
उस "मुकाम" पर कुछ पल रूकर पीछे "मुड़कर" देखना,
और उनलोगों को "धन्यवाद" बोलना,
जिनकी "मदद" से आप उस "मुकाम" पर पहुंचे हो..!!!
:--स्तुति
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कोई भी मुकाम आरजुओं को मयस्सर नहीं,
दौडती रहती हैं, ताउम्र बेतहाशा यूँ हीं-
गिरते हो चलते-चलते, संभलना सीख जाओगे,
घाव भर जाएगा धीरे-धीरे,
और तुम वक्त को बदलना सीख जाओगे।
कब तक बैठोगे डर के साये में!?
हिम्मत की एक उड़ान भरोगे,
और आसमां को चीरना सीख जाओगे।
माना पर्वत दिखता है मुकाम तुम्हारा,
पर बूंद बूंद से ही तो सागर भर पाओगो।
आ जाएगी काबिलियत पत्थर को मोम बनाने की,
सफर को मंज़िल में बदलना सीख जाओगे।
गिरते हो चलते-चलते, संभलना सीख जाओगे,
घाव भर जाएगा धीरे-धीरे,
और तुम वक्त को बदलना सीख जाओगे...-