मैं चुप रही वो उसे मेरी मेरी कमज़ोरी समझ बैठा नादान,
बात-बात पर वज़ाहत पूछँकर नज़रों से गिर गया नादान।-
जिंदगी किस मुकाम पर आ गई कि अब तकलीफ़े हँसा देती है और दिलाशाएँ रूला देती है,
पहले होती थी तकलीफों से परेशान अब हर हाल में ख़ुश रहने आदत सी ना जाने क्यों हो गई है।-
मेहनत के दम पर मुकाम
हासिल हम कर दिखाएँगे,
ज़िन्दगी कैसे जीते हैं का
हुनर हम सबको सिखाएंगे।-
स्याह आँखें तेरी देख ख़ामोश शब के अरमान यूँ पलभर में मचल उठे,
डूब जाएँ इनमें इस क़दर कि फ़िर वो भी ज़िन्दगी जीने को मचल उठे।-
(बशर = इन्सान/मानव जाति)
मौत है तेरी मंजिल बशर तुझे इतनी भी ख़बर नहीं,
अगले पल क्या हो जाएँ तुझे इतनी भी ख़बर नहीं।-
पागल है वो दिल में जिनके क्रान्ति की लहर है,
तुम्हें समझदारी मुबारक हम पागल ही अच्छे हैं।-
गुस्ताख़ दिल के किये की सजा भुगत रहें हम अब तक,
हज़ार टुकड़े हुए फ़िर भी धड़कता है उनके ही खातिर,
हर पल उनके ख़्वाब संजोता जैसे समझता यह कुछ नहीं,
इंतजार में कट गई ज़िन्दगी आया ना वो लौटकर मेरे ख़ातिर।-
(शह-ज़ोर = शक्तिशाली)
बड़े-बड़े शह-ज़ोर को भी देखा ठोकरें खाकर गिरते यहाँ,
कि आँखें नम हुए बगैर जीवन जी पाना नामुमकिन यहाँ।-
हर घर परिवार की शान होती है ये प्यारी बेटियां,
ना जाने क्यों पैरों तले कुचल दी जाती है बेटियां।-
कुछ यादें ज़ेहन-ओ-क़ल्ब में है छप गई बचपन के दिनों की,
माँ का लाड़ उनके आँचल की छाँव तले बीती यादें ज़िन्दगी की।-