Abhi Shrivastav  
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Joined 30 May 2019


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Joined 30 May 2019
17 APR AT 13:41

जज़्बात अधूरा रह जाता है, कोई ख़्वाब अधूरा रह जाता है।
ख़ुद-ग़रज़ी की इस होड़ में, अक्सर साथ अधूरा रह जाता है।

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22 MAR AT 15:28

वो होती, मैं होता, और खुशियों का समा होता।
ना ग़म होता, ना सिसक होती!
ना आंसुओं का आँखों से तक़ाज़ा होता।

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12 FEB AT 10:41

काश! उसके वादों पर, ना इतना ए'तिबार करता।
ना मानता उसे ख़ुदा अपना, ना कभी उससे प्यार करता!

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11 FEB AT 9:46

थक गए हैं दीदार-ए-यार की इंतज़ार में अब।
मिलन की रुत हो अगर तो, हमें भी इत्तिला देना।

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10 FEB AT 9:44

कुछ मुलाकातों की याद अब भी बाकी है।
बहुत कुछ कह दिया था उसने! पर कुछ बात अब भी बाकी है।

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8 FEB AT 10:13

मेरी शख़्सियत को वो बदनाम कर गया है।
मेरा हमदर्द!, रुख़्सत होकर मुझे सर-ए-'आम कर गया है।

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6 FEB AT 13:26

उसकी मशहूर कहानी का मैं भी एक नाकाम किस्सा रहा।
वो रहा किरदार खास और मैं मामूली सा एक हिस्सा रहा।

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1 FEB AT 9:46

उसकी बातों का अब मुझ पर कोई असर नहीं होगा।
वह अगर मिल भी गया तो दोनों का गुजर-बसर नहीं होगा।
तन्हाई का तौफ़ा थमाकर, बेघर कर गया था वो मुझे।
अब किसी ठिकाने की उम्मीद में, मेरा! कोई शहर नहीं होगा।

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31 JAN AT 13:10

काश! कोई दरमियान ना होता,
तू खफा होता पर, जुदा ना होता।
आहिस्ता-आहिस्ता भर जाती है हर दरार रिश्तें में,
अगर तू साथ होता, तो दर्द भरा हादसा ना होता।...

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25 DEC 2024 AT 15:16

तुम ख्यालों को शब्दों में पिरो देती हो।
जब लिखती हो तो आँखें भींगो देती हो।...

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