ओम शांति 🙏
मेरी पूज्यनीय माता जी सुशीला देवी जी मिश्रा (उम्र 90) पत्नी स्वर्गीय श्री गणपत लाल जी मिश्रा का 27 अगस्त को निधन हो गया है इसी कारण और कुछ अपने स्वास्थ ठीक ना होने के कारण मैं एक लंबे अंतराल तक मंच पर नही आऊंगा..-
माफ़ कीजिएगा
स्वास्थ्य ठीक नही होने के कारण मैं कुछ दिनों से इस मंच पर आकर आप सभी की रचनाओं को पढ़कर लाइक और कमेंट नही कर पा रहा हूॅं और कुछ नया नही लिख पा रहा .. स्वास्थ्य ठीक होते ही आप सभी के बीच आकर आप सभी की रचनाओं को पढ़ता हूॅं..-
पुराना वक़्त भुलाने से कभी नहीं भूलता,
पुराना साथ ज़हन से कभी नहीं उतरता.
क्या हुआ बन जाते हैं नए रिश्ते सफ़र में,
तेरे साथ किए प्यार को कभी नहीं भूलता.
भले एक अरसा हो गया है मुलाक़ात हुए,
बातों की यादों का सिलसिला नहीं टूटता.
नहीं भूलता तेरा स्वयं को ही सही बताना,
तुझसे हार कर भी दिल कभी नहीं हारता.
याद तुझे भी मेरी आती ही होगी हर पल,
हमेशा तेरा अहम् और वहम् आड़े आता..-
बा-ख़ुदा हो चली क़ुर्बान, यूँ नींदें सर्द रातों की
मुसलसल ख़्वाब क़ाबिज़ हैं, तेरे ही ऑंखों में-
यूॅं तो अल्फाज़ मात्र अल्फाज़ ही होते हैं
पर निकलते हैं जब सबा की कलम से तो आफ़ताब होते हैं
शब्दों की कारीगरी सबा को बख़ूबी आती है
कभी कलम से रुलाती है तो कभी हॅंसाती है
कभी शेर, कभी गज़ल,कभी नज़्म से सबको घायल कर जाती है
यूॅं ही नहीं ये सबा कहलाती है-
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
खुशियों की सौगातें लेकर आए बहारें
मुख पर आपके सदा हो हंसी के फव्वारे
आशा कि रोशनी का साथ रहे हमेशा
सुख और समृद्धि आती रहे आपके द्वारे-
कब तलक चलेंगे जाने ये चराग़ों के सिलसिले,
शब-ए-इन्तिज़ार आखिर मुख़्तसर क्यों नहीं होती..-
कुछ अमानतें वो तेरी
अभी बाकी हैं सीने में
कभी आओ तो ले जाना.
मुलाक़ातों का वो मौसम
मिलन ,के कुछ बहाने हैं
कभी आओ तो ले जाना.
हसीं शामों के वो साये
वो खिलती, चांदनी रातें
कभी आओ तो ले जाना.
वो कुछ उठते हुऐ सवाल
फिर तेरा बिछड़ जाना
कभी आओ तो ले जाना.
बिखरे ख़्वाबों के टुकड़े
चिढाती हुई कई यादें
कभी आओ तो ले जाना.
तकिये में सलामत है
वो ख़ुशबू ,तेरे बालों की
कभी आओ तो ले जाना ..-
वो हमारी पहली मुलाक़ात ,की कश्मकश
वो दोनों,के हसीन ख्यालों का प्रथम स्पर्श
वो हम ,दोनों के दिलों ,का हसीन स्पंदन
सच बताओ..... क्या भूल पाओगी तुम
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वो बड़ा, खुशनुमा ,सा सान्निध्य, अपना
वो कभी ना बिछुडने का हसीन सपना
वो जरा सी जुदाई पर छुप छुप के कृंदन
सच बताओ ...... क्या भूल पाओगी तुम-
वो थी इंग्लिश बोलने में तेज़
हम थे इंग्लिश पीने में तेज़
नशा दोगुना हो जाता था मेरा
जब पकड़ी जाती थी मेरी इंग्लिश
और सुनने को मिलती थी उसकी इंग्लिश-