वक़्त यूँ मुझ से दग़ा करता रहा
आस में तेरी, समा कटता रहा
तुम कभी थे ख़्वाब में मेरे हुए
अब तलक मैं, दम वही भरता रहा
वहम मुझको ज़िन्दगी का ही हुआ
समझ आया अब, कि मैं मरता रहा
दे गया दिलकश तन्हाइयां मुझे
स्याह रातों से युहीं डरता रहा
कुछ असर इश्क़ का यूँ मुझपर हुआ
मिट गया मैं, प्यार सँवरता रहा-
है अधूरी ज़िन्दगी जो तुम नही
याद तो है साथ मेरे कम नही
सब गिले शिकवे खुदी से कह दिए
क्यों मनाते तुम मुझे हमदम नही
याद की परछाइयाँ मिटती नही
कह दुँ कैसे साथ तेरे हम नही
चाक दिल है दर्द रहता है सदा
काम आई कुछ दवा मरहम नही
जी रहें तेरे बिना मुम्किन नही
सांस तुझ बिन क्यों ये जाती थम नही-
बिजली के करंट से रग रग में बहते हो
मीटर सा बना दिया है हमको
अपनी धड़कने मुझमें चैक करते हो-
मिला क्या हज़र से, बतादो उसे।
हुआ क्या हाशर है, बतादो उसे।
मुहब्बत की खातिर सफर मोड़ दूं,
खुदा क्या कहर है, बतादो उसे।
मिरी हाथ पर की लकीरें सुनो,
लिखा क्या गदर है, बतादो उसे।
नहीं रास आती किसी को वफ़ा,
फरेबी शहर है, बतादो उसे।
हकीकत ख्वाबों से ग़र जोड़ दू,
मुकद्दर गदर है, बतादो उसे।
अमन बेच कर ये मुहब्बत मिली,
सनम का असर है, बतादो उसे।
कलम थाम लेती उसे सोच कर,
वही इस कदर है, बतादो उसे।-
पढ़े-लिक्खे ये कुछ मेहमान आए
मिरे घर में कई दीवान आए
बिना माँगे जो, देते जा रहे थे
मुहब्बत में बहुत नुकसान आए
मिरा जज़्बा जिसे भी देखना हो
मिले हमसे, ज़रा मैदान आए
हमें ठोकर में दिलचस्पी नहीं है
कभी तो सामने चट्टान आए
हुआ जीना मुक़म्मल मसख़रे का
किसी बच्ची पे जब, मुस्कान आए
वो अपनों को दिखा आए हैं तेवर
ग़लत लोगों पे सीना तान आए
तुम्हारे कान पर जो रेंग ले जूँ
हमारी जान में कुछ जान आए
जो मुझ में घुल न पाए दूर जाए
चलो फिर ज़िंदगी को छान आए-
बहर, वज़न के साथ
यानि
मीटर में लिखी गई
रचना इस प्लेटफॉर्म पर
कम पसंद की जाती है।
😢अब तक का अनुभव😢
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सुनना फिर जरा...
ये वेसे ही हैं जेसे
जुदाई के बाद
यादों का चालु हों जाना..
😊😊😊-