Shruti Gupta   (Shruti Gupta 'कालजयी')
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Joined 23 May 2017


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Joined 23 May 2017
4 DEC 2023 AT 13:27

मन ही मन में सोचे मन
कैसे उल्टी राह चल दे?
अपनी बहकी बांतों में
मुझको ये गुमराह कर दे।

(पूर्ण कविता कैप्शन में...)

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4 NOV 2023 AT 19:03

आँखो से आंका है सबने
किन्तु मन में झांका किसने?
दो क्षण को वह रुके थे राही
फिर नज़रो को फेरा सबने।

दो क्षण का हंसना रोना था,
जीवन भर कोई कहां रुकेगा?
साधारण को कौन चुनेगा?

(Full poem in the caption)

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2 SEP 2023 AT 21:10

एक तरफ चांद और एक तरफ तूम
फिर भी मैंने तुम्हें चुना,
दीदार को।

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20 AUG 2023 AT 13:25

Never trust the person you trust the most,
Because that person will hurt the most.

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2 FEB 2023 AT 9:40

नयन ये कब तक राह निहारे
बाट किसिका का क्यो न हारे?
शोक मनाए, नीर बहाए,
क्षण क्षण काली मेघ हो जाए।
सबर न टूटे, बाट न छूटे
मन ही मन फिर पछताए।
चौखट पर कबसे टिकी है
एक टक, न पलक झपकाए।

लौट आ राही घर को अपने
सारे जगत सबेर हुई है।
ताकती है ये आंखे तुझको
बस तेरे घर अंधेर हुई हैं।

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21 OCT 2022 AT 8:02

I hope we meet soon
Or have we already met,
Deja Vu?

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17 JUL 2022 AT 0:56

बारिशों की कसक कहाँ?
फूलों में महक कहाँ?
आईना है बेखबर,
रूप का ये अक्स कहाँ?

मंजिलों को छूने वाली
रेंगती सड़क कहाँ?
सांझ हो चुकी है अब
भोर का सबब कहाँ?

ख्वाब क्या है, क्या पता?
ख्वाब भी बचे कहाँ!
जिंदगी है बेखबर,
ऐ जिंदगी तू है कहाँ?

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9 JAN 2022 AT 23:00

इतने नायाब जोड़ियां बना कर,
तू उन्हें मुक्कमल क्यों नहीं करता
ए खुदा, तेरे लिए इश्क क्या है?

मिलन की आस लिए जीते रहना
या विरह के ग़म में पल पल मरना
तू बता, इश्क का अक्स क्या है?

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25 DEC 2021 AT 9:21

इमारते जवान है खंडरों की तरह
बदुआए लगती है मन्नतों की तरह
राहों का पता क्या, बातों का पता क्या?
मेरी बातें लगती है मिन्नतों की तरह!

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6 DEC 2021 AT 22:59

बेमान बड़ा ये इश्क जनाब
सोच समझ कर कीजेगा।
सूली पर टांग के बुद्धि को
दिल को राह न दिजेगा।

क्यों तुले है होश गवाने पर?
कुछ न होगा पछताने पर!
हां, अगर तड़प की कसक लगी
तो इश्क दोबारा कीजेगा।

(अनुशीर्षक में पढ़े)

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