कतरा कतरा है इश्क की दास्तां अजी ! चाकू खंजर चलते रहेमगर क्या कहें इश्क की मय कोलोग पीते रहे और बहकते रहे -
कतरा कतरा है इश्क की दास्तां अजी ! चाकू खंजर चलते रहेमगर क्या कहें इश्क की मय कोलोग पीते रहे और बहकते रहे
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किस्से से शुरू कहानी में अंतिम बात -
किस्से से शुरू कहानी में अंतिम बात
मेरी पहचान है -
मेरी पहचान है
दिल के करीब हो तुमअधूरी दास्तां -
दिल के करीब हो तुमअधूरी दास्तां
रोज रोज बेतकल्लुफ़ मुलाकातेंफूल, नदियां,अब कबूतरों से बातें -
रोज रोज बेतकल्लुफ़ मुलाकातेंफूल, नदियां,अब कबूतरों से बातें
लबरेज थी कलमकुछ शब्द छिटक गयेहमें क्या खबर थीतुमको लिख देंगे हम -
लबरेज थी कलमकुछ शब्द छिटक गयेहमें क्या खबर थीतुमको लिख देंगे हम
अधूरी हसरतें अनकही बातें -
अधूरी हसरतें अनकही बातें
खुद से ज्यादा,खुद को, क्या कोई पहचानता है?कत्ल होने वाले से ज्यादा,कत्ल करने वाला, ज्यादा जानता है -
खुद से ज्यादा,खुद को, क्या कोई पहचानता है?कत्ल होने वाले से ज्यादा,कत्ल करने वाला, ज्यादा जानता है
चाहे कर भी ना मोड़ सकीसखी मैं जीवन कि धारामन नहीं श्वास लेने का पर चलता नहीं वश हमारामन करता इस शरीर के घर कोछोड़ भ्रमण करी आऊं जाऊं कैसे री सखी बंधन ने ऐसा माराना पंख उगा सकूंअपनेना बदल सकूं में भागयही तो कर्मन का फेरा है सखीना दिन वश में ना रातना री ना सखी सब मिथ्या हैअब सब कुछ प्रभु के हाथ -
चाहे कर भी ना मोड़ सकीसखी मैं जीवन कि धारामन नहीं श्वास लेने का पर चलता नहीं वश हमारामन करता इस शरीर के घर कोछोड़ भ्रमण करी आऊं जाऊं कैसे री सखी बंधन ने ऐसा माराना पंख उगा सकूंअपनेना बदल सकूं में भागयही तो कर्मन का फेरा है सखीना दिन वश में ना रातना री ना सखी सब मिथ्या हैअब सब कुछ प्रभु के हाथ
सुर बेसूरे से हो गयेवो पहले गैर बनेअब अजनबी हो गये -
सुर बेसूरे से हो गयेवो पहले गैर बनेअब अजनबी हो गये