बात आज थारी - म्हारी ना सै,
बात म्हारे देस कै साढ़े 10 करोड़ भाई - बहना री सै।
के ग़लती सै उणकी जै पैदाइस ही इसी सै उणकी,
मेह भी जाम्यां सां आपणै अहसासां सागै; बै जाम्यां सैं सागै उणकै।।
क्यूँकर अपनाण मांय उणनै मेह नाट्या करया सां,
न्यारा सैं बै म्हारै सूं अजीब कोन्या; क्यूं मानैण नै नाट्या करया सां।
ज़्यादा सां मेह तो; के थोड़ा नै मेह भूल जावांगा,
के जाति, रंग, छुआछूत आली तरियां समलैंगिक आलो भेद भी अपनावांगा।।
लोगां कै अधिकारां नै छोड़ क्यूँकर समाज की बात करां सां,
समाज म्हारै सूं सै मेह समाज तैं कोन्या; क्यूं ना समझण की बात करां सां।
जीण को, आपगो सोचण को अधिकार; बणको भी सै,
क्यूं रीति की बात करकै घिसी-पिटी लकीरां मांय बँधेड़ा पड़्या सां।।
रामायण, महाभारत, मुद्राराक्षस जिसा ग्रंथां मांय भी है जद है जिक्र उणको,
इब बिग्यान की सोच राखण आला भी क्यूं नहीं देवण लाग रह्या बणनै सम्मान उणको।
ऋग्वेद री ऋचा भी प्रकृति अर विकृति री बात करै सै,
रोमन, यूनान जिसा देस बणनै सम्मान देवै सैं; तो म्हाने क्यूँकर बात अखरै सै।।
बात थारी - म्हारी ना, बस सबकै जागणै भर री सै,
समाज की झूठी चेतना से बाहर आणै भर री सै।
बात थारी - म्हारी ना सै, आपणै सैं अलग भाई - बहना नै आपनाण री सै।
बात थारी - म्हारी ना सै, बात सोच अर अधिकारां री सै।।-
खूंखार घिनोने भेड़ियों का
नाश करने की बजाए
जो सुरक्षा के नाम पर
औरतों को कैद में
रखने का सुझाव देते हैं
वे खुद की नजरों में
'समझदार' होते हैं
लेकिन वास्तविकता में
मानसिक रुप से
'बीमार'
-
शारीरिक स्वास्थ्य हीं मानसिक स्वास्थ्य का मूल मंत्र है
व्यक्तित्व जीवन में आनंदात्मक और भावात्मक का अभिव्यक्ति अनुकूल रूप महत्वपूर्ण है। जिसमें सामाजिक , सांस्कृतिक , संवेगात्मक , श्रेष्ठ, एवं संतुलित , आत्म मूल्यांकन और विचार
निर्णय आदि निम्न गुणों का होना आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य में समावेश सद गुणों का गुंछा भी जरूरी है!
जिसमें जैसे;- जीवन के प्रति रुचि , आत्मगौरव का भाव , व्यवस्थित विचारधारा , विनोदशीलता तथा
सदुद्देश्य पूर्ण दृष्टिकोण आदि गहन है।
जो कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए
एक संतुलित सूत्र बन सकते हैं।-
आर्थिक स्थिति अच्छी होने से नहीं
बल्कि मानसिक स्थिति
अच्छी होने से सुकून मिलता है।-
मुझे
हजार मिले
गिराने वाले लेकिन
मैं फिर भी संभल गयी
थोड़ी आँख उठाकर क्या चली
ज़माना कहने लगा अरे देखो ज़रा
ये कल वाली ईशा आज बदल गयी।-
ज़रा सोचिए!
आज भी जब हम
"Happy Independence day"
बोलते हैं
तब कहीँ दूर बैठा
एक अंग्रेज मुस्कुरा देता है...
-
मैं बिना शर्ट पहने घूमता रहा
दिन भर से भरे बाजार में,
किसी ने ध्यान न दिया,
उड़ गया दुपट्टा ज़रा सा जो
उसके काँधे से,
हर नज़र ने उससे एक अजीब
सवाल किया....?-