QUOTES ON #महाकुंभ

#महाकुंभ quotes

Trending | Latest
12 JUN 2018 AT 21:46

शब्दों के इस महाकुंभ में
भावनाओं की भीड़ लगेगी,
स्याही के एक-एक कतरे से
लोगों को ऩए दर्द की आस होगी |

लिखी़ जाएगी दुनिया की
सबसे चर्चित कहानी,
अमृ़त के नाम पर निकलने वाली
मेरी सबसे पहली किताब होगी |

-



अमृत भूमि प्रयागराज जन चेतन आध्यात्मिक का संगम,
छलका अमृत, हुआ देवत्व, हुआ तब यह दुर्लभ संगम।

देश विदेश में हुआ चर्चित, खींचे चले आए जैसे चुंबक
उमड़ पड़ा अथाह जन सैलाब मनभावन दृश्य विहंगम।

रज पद स्पंदन सनातन गौरव स्वर्ग सम त्रिवेणी परिवेश,
आस्था की डुबकी, तन मन प्रफुल्लित, आत्मिक जंगम।

पुण्य सलिला तीर पर, यज्ञ अनुष्ठान की प्रज्वलित लौ,
जैसे देव स्वर्ग से अनुभूदित हर क्षण आशीर्वाद हृदयंगम।

वैचारिक नैतिक सात्विक से ओतप्रोत सर्वस्व सर्वत्र ओर,
जो बने हिस्सा भाग्यशाली, आधि व्याधि तज हुए सुहंगम।

हर एक के जीवन में होता यह प्रथम और अंतिम अवसर,
जीवन सुफल, दुःख दर्द निष्फल, जैसे यह मोक्ष आरंगम।

आत्मशुद्धि, वैचारिक मन मंथन का सुव्यस्थित आश्रय,
नश्वर तन का अटल अंतिम सत्य, यही संगम यही मोक्षम

सदियों से बना यह अति उत्तम दुर्लभ खगोलीय संयोग,
बहुचर्चित, दिव्य, अलौकिक इस महाकुंभ का शुभारंभ।
_राज सोनी

-



महाकुंभ !

जाने का अवसर मिले तो जाएं ज़रूर
ना अवसर मिले तो महिमा
गाएं ज़रूर ।

शुरू में
हालाहल मिलेगा,
चलते रहना,
अमृत मिलेगा।

-


4 FEB 2019 AT 16:46

आज भी त्रिपथगा के
शीत विस्तृत कूल पर,
दृष्टिगोचर हो रहा
चलता यह अद्भुत समन्दर।
मनुज उर की घाटियों में
है यद्यपि प्रतिकूल धारा,
हो भावमय पहुंचा यहाँ
खोजता प्राचीन अवसर।
सिद्ध करने सनातन-
संस्कृति की अक्षुण्णता,
खूब खुश होकर लगाईं
डुबकियां प्रयाग तट पर।
4.2.2019

-


21 JAN AT 12:26

योगी।

कितना विरल ...
अबूझ....
पहेली जैसा
प्रतीत होता है न?
स्वयं में
शून्य जगाता हुआ
योगी।

(रचना अनुशीर्षक में)

-


18 JAN AT 12:31

हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी
शायद मौका न मिले
हम सब सौभाग्यशाली है
जो महाकुंभ के साक्षी बने हैं🚩

-


16 FEB AT 9:29

तुम कभी देखना महाकुंभ ...मेरे चश्मे से।


कुछ पा चुके है अब तक
कुछ और भी अभी पाने की दुआ मना रहे हैं ।

सुनो ...सुनो ....

2025 के इस वर्ष को
हम मोक्ष वर्ष मना रहे हैं।

-


13 JAN AT 13:20

(महाकुम्भ को समर्पित कुण्डलिया)— % &‎छिड़ी लड़ाई रेत्र हित, देव-दनुज  के  मध्य।
‎दनुजों की थी लालसा, मधु पी बनें अवध्य।।
‎मधु पी बनें अवध्य, किन्तु कुछ बूँदे छलकीं।
‎भारत पुण्य प्रदेश, जहाँ पर आकर ढलकीं।।
‎हरिद्वार  उज्जैन,  संग  नासिक  फलदायी।
‎मिला पुनीत प्रयाग, हेतु जिस छिड़ी लड़ाई।।— % &पावन  संगम  की  धरा, पावन  तीर्थ  प्रयाग।
‎चहुँदिशि  होती  आरती,  बजते मधुर सुराग।।
‎बजते  मधुर  सुराग,  प्रभो  से  प्रीति  बढ़ाते।
‎धर्म  सनातन  मूल्य,  प्रगति की राह दिखाते।।
‎उसी भूमि पर आज, लगा  मेला  मनभावन।
‎आस्था सँग विश्वास, कुम्भ की महिमा पावन।।— % &मेला धार्मिक यह शुभद,  संगम  तीर  पुनीत।
‎महाकुम्भ की दिव्यता,  लेती  हृद को जीत।।
‎लेती हृद को जीत,  सुरीली  कल-कल  धारा।
‎भरता है उल्लास, कनकमय कलित किनारा।।
‎कहे  ऋषभ  मनमीत, यहाँ पर कौन अकेला।
‎भाँति-भाँति के भेष,  सुसज्जित पावन मेला।।

‎– – ऋषभ दिव्येन्द्र— % &

-


15 JAN AT 13:04

महाकुंभ

-


25 JAN AT 12:41

प्रयागराज महाकुंभ में सभी सनातनी हिन्दू नहाये
वहां जाति नाम का कोई वायरस ही नही दिखा ..!!

-