प्राचीन परम्परा थी,
परिवार एक साथ रहता था,
नाती पोते संती पंती
बाबा परबाबा के साथ
रहते थे सब छोटे बच्चे।
रोज शाम को बाबा सुनाते थे कहानी
सुनते सुनते सो जाते थी गुड़िया रानी
अब शादी होते ही अलग चले जाते हैं
दुनिया भर के बहाने बनाते हैं।
काश, लौट पाएं वह बीते पल छिन
आज की पीढ़ी देख पाती वे अच्छे दिन।
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शब्द से संगीत जन्मे,शब्द ही आराधना।
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राखी का त्योहार, भैया बहना का प्यार।
दोनों में कितना होता सच्चा स्नेह दुलार।।
एक दूसरे के बिन बचपन का दिन नहीं बिताया।
जो भी मिला उसे दोनों ने मिलजुलकर ही खाया।
बड़े हुए तो कुछ न बदला साथ भले ही छूटा।
लाल रंग के इस धागे का प्यार कभी न टूटा।
इस रक्षाबंधन के खातिर बहनें दौड़ी आतीं।
और कलाई पर भाई की सारे रंग सजातीं।-
अगर नहीं करते कभी,आपस में संवाद।
प्रियजन भी करते शुरू, यत्र तत्र परिवाद।
उचित यही मिलते रहें, सदा हाथ से हाथ।
बना रहेगा उम्र भर,सब अपनों का साथ।-
नहीं है यदि कोई भी गेय।
कभी मत समझो उसको हेय।
बदल सकता हर व्यक्ति स्वभाव,
ब्याधि - हर होता है कटु पेय।।
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यादें आ ही जाती हैं राह कितनी भी सँकरी हो,
मुहब्बत के मामले में बंदिशें ख़ुद मुंह चुराती हैं।-
एक किरण काफ़ी है अंधेरा दूर करने को,
ज़िन्दगी के लिए, उनकी एक नज़र काफ़ी है।
करते रहे वो सदा भले कितने भी सितम,
मुहब्बत की दुनिया में हर गुनाह की माफ़ी है।-
बात अधूरी नहीं,हर नजरिए से पूरी है।
हक़ीक़त को बस मंजूर करने की ज़रूरत होती है।
इज्ज़त मिलती है किसी को इस दुनिया में बस तब तक,
जब तक किसी को उसकी थोड़ी भी ज़रूरत होती है।
-ARUN
19.8.2023-
लिपटे रहें कब तलक आखिर, हम ही तेरी याद से।
मतलबपरस्ती भरी तुममें, रिश्ते नहीं इमदाद से।
स्वार्थ था जब, तब थे आकर, रोज़ तलवे चाटते,
उनसे क्यों नजदीकियां, जो लगते तुम्हें बर्बाद से।-
कुछ तोहमत तो लगा देते,
पेशतर मुंह चुराने के,
लगता है खो चुके हो तुम,
ख़ुद पर भी यकीं करना।-
हे ईश्वर! बताओ कुछ तो हमें ये कैसी उदासी है,
हर शख्स के रुखसार पर कब्ज़ा कर लिया जिसने।-