इं. रितु सिंह  
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💫 रंग-रंग में उलझती ..
दिलो-दिमाग की उथल-पुथल 💫
Joined 24 May 2020


💫 रंग-रंग में उलझती ..
दिलो-दिमाग की उथल-पुथल 💫
Joined 24 May 2020

ख़ुद
से इश्क़
मुक़्क़मल है इश्क़

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मेरी यादों को मार के
क्या ख़ुश रह पाओगे?
बना के कब्रिस्तान
दिल को
क्या ख़ुश रह पाओगे?

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कहाँ मिलती है
फ्री में खुशियां..
हाँ! जीवन को जीवन देके
संवारना पड़ता है,

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'Let go' karna
'Overthinking' se bachna
Seekh jaye
To...
Jindagi thodi
aasan ho jaye

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आज की सुबह ने
धीरे से
कान में गुनगुनाया है...

कर लेना थोड़ा और
ख़ुद को प्यार...

आज की सुबह ने
धीरे से
मन में अहसास जगाया है!

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ख़ुद को प्यार करना
ख़ुद के लिए...

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ख़ुद को मेरी
प्रिय सखी
कहती है वो,

महफ़िल में
मेरा नाम लेने से
गुरेज करती हैं वो,

मुझे अपने से
कमतर समझती है वो।

या जाने मेरी लोकप्रियता से
डरती है वो।

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सजा के मेंहदी
मेरे नाम का,

प्रण लिया है
मेरे नाम का,

खुद ख़्याल रखूंगी
मैं, मेरे नाम का।

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शैव भी मैं
वैष्णव भी मैं
मैं शाक्त से अलहदा नहीं,
कोई नहीं भिन्नता मुझमें
मैं तुझसे
तू मुझसे अलहदा नहीं।

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