इं. रितु सिंह  
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💫 रंग-रंग में उलझती ..
दिलो-दिमाग की उथल-पुथल 💫
Joined 24 May 2020


💫 रंग-रंग में उलझती ..
दिलो-दिमाग की उथल-पुथल 💫
Joined 24 May 2020

ख़ुद को मेरी
प्रिय सखी
कहती है वो,

महफ़िल में
मेरा नाम लेने से
गुरेज करती हैं वो,

मुझे अपने से
कमतर समझती है वो।

या जाने मेरी लोकप्रियता से
डरती है वो।

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सजा के मेंहदी
मेरे नाम का,

प्रण लिया है
मेरे नाम का,

खुद ख़्याल रखूंगी
मैं, मेरे नाम का।

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शैव भी मैं
वैष्णव भी मैं
मैं शाक्त से अलहदा नहीं,
कोई नहीं भिन्नता मुझमें
मैं तुझसे
तू मुझसे अलहदा नहीं।

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उड़ गया जीवन
छा गई वीरानी
यही है
जिंदगी की कहानी।

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अक्षय तृतीया पे सबको
एक अक्षय पात्र मिले
जो दे
वो दुनिया को
उसी से पात्र भरा रहे।

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रंगों से खेलने वालों के
खून से खेला गया है
क्या ये किसी धर्म में
जायज़ लिखा गया है?

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ज़ुल्म ओ सितम करने दो उसे यारों

होंगे जब और ज़ुल्म ओ सितम
मस्त शायरी निकलेगी
दम दमा दम

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ग़म तो मिलते हैं हर रोज़
कि शायरी गुम है,
लोग तो मिलते हैं हर रोज़,
कि हम गुम है।

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होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Happy Holi💦🪻
Safe holi🌹🌈

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रोज़ डे पर
रोज़ को
रोज़ सा
सजाया गया,
कांटो संग
रोज़ डे पर
रोज़ को
विदा किया गया।

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