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સાકી! બહાનું છે મળ્યું, લે ભર, હવે સારુ... read more
वो क्या है कि, अभी अभी पता चला, टेस्टी देने में पैसे नही लगते। तो मैं अपने इस स्वार्थी होने का गम मिटाने के लिए यह टेस्टी स्वार्थी को सौंप रहा हूँ..! वैसे तो सारी दुनिया स्वार्थी है, कोई स्वीकारता नही है बस। लेकिन इन महाशय ने मान लिया.. लेकिन अभीतक यह नही बताया, कि वे खुद को स्वार्थी बोल रहे है, या हम सब को..? मजेदार बात यह है कि स्वार्थी होते हुए भी हाईलाइट में स्वार्थ नही देख रहे.. दे धड़ाधड़.. yq वालों के सर्वर को लात मारते हुए हाइलाइट दे रहे है.. कभी कभी कोलेब इनविटेशन का पूरा पोस्टबोक्स खाली कर जाते मेरे यहां..
तो स्वार्थी जी, सदा स्वार्थी रहिए.. स्वार्थ है तो, हम है, हम है, तो समाज है, समाज है, तो सृष्टि है, सृष्टि में yq है, और yq में हम है, और हम है तो yq है..😅-
अभी क्या है, कि मैं आज इधर यूंही रखड़ने को आ गया तो क्या देखता, बहुत सारे लोग इसको, उसको, इनको, उनको बेस्टी को टेस्टी बांट रहे थे.. अभी मेरे को क्या है, कि मन हुआ कि, चलो इधर जेब मे हाथ नही डालना पड़ता है, तो दे ही देते है..! तो आज बड़े दिनों बाद पहला टेस्टी तो आप ही रखो अनुभूति जी पहेली जी.. ये दो बार जी जाणी-जोइने लगाया है भईसाब..! वो क्या है कि वैसे भी बाहर वाले लोग हम गुजरातियों को मीठा खाने वाला बोलते है, तो हमने बाहरवाली भाषा में भी मिठाश घोल दी भईसाब..!
तो अनुभूति जी पहेली जी, आपके बारे में तो क्या बोलूं.. मैं तो थक गया लिखते लिखते..! कितने लिखते हो आप.. मैं जितनी बार इधर आता हूँ, आप साक्षात प्रकट ही रे'ते हो..! नही मैं आपको नवरा नही बोल रहा भईसाब.. मैं तो ए सोच के मुंजाय गया हूँ, कि इतना सारा लिखते कैसे हो.. जैसे गर्मागर्म फाफड़ा उतारता है कंदोई, आप शायरी उतार देते इतनी देर में..
चलो अब यह yq वाले ना पाड़ रहे है, जाजा लिखने को.. बोलते है इतने ही अक्षर लिखने के..-
ઘણા સોણલાંઓ બાકી રહેલા,
અને નેજવાં તાણી તાકી રહેલા,
અરે ફરિયાદો, અને વાત નો દોર,
તમારા સંગાથે, અવાકી રહેલા..!-
कोई अगनस्नान कर लेता है, कुछ जल भीतर भर लेता है,
यह प्रेम बला है, अजब प्रिये, हर एक प्राण हर लेता है..!-