आनन्दित डाली, अरुणिम लाली, अभिनन्दन नववर्ष।
हुलसित हृद क्यारी, छवि मनहारी, होता नित आकर्ष।।
महकी अमराई, ले अँगड़ाई, उठे हृदय में हर्ष।
अन्तस की आशा, छँटे निराशा, प्रतिपल हो उत्कर्ष।।
छाए वैभवता, हो समरसता, सुखमय-सा संसार।
गत को अब भूलें, अम्बर छूलें, स्वप्न सकल साकार।।
यह बात पुरातन, कहे सनातन, परहित हो उपकार।
मंजुल मनभावन, प्रेमिल पावन, पुष्प खिलें हर द्वार।।
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