तुम्हे नहीं चाहत है, मोहब्बत की..!!
और हम मोहब्बत की, चाह में मरे जा रहे है..!!
वफ़ा की उम्मीद जो कर बैठे हम..!!
अब तो खुद ही बेवफा बने जा रहे है..!!
यें मोहब्बत हुई भी तो कहाँ हो गयी..!!
वो हद से ज्यादा, दर्द, दिए जा रहे है..!!
तुम्हे नहीं चाहत है, मोहब्बत की..!!
और हम मोहब्बत की, चाह में मरे जा रहे है..!!
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