रद्दी काग़ज़   (रद्दी काग़ज़)
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लाइक कमेंट फॉलो बाद की बातें हैं बस अच्छे से शांति से पढ़ें🙏 और कैप्शन ज़रूर पढ़ें
इंदौर
Joined 18 May 2020


लाइक कमेंट फॉलो बाद की बातें हैं बस अच्छे से शांति से पढ़ें🙏 और कैप्शन ज़रूर पढ़ें
इंदौर
Joined 18 May 2020

मिलता था तुझसे तो बस तुझे पाने की चाह में
सितम है तुझसे मिलकर हर दफ़ा बिछड़ा हूँ मैं

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तेरा इश्क़ जगजाहिर पर तेरे नाम पर पहरा है
इश्क़ इतना स्याह नहीं तेरा नाम बेहद गहरा है

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बंजारा मिज़ाजी तो मेरी थी नहीं मगर
तेरे दर से बेदर हुए फिर दरबदर भटके

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ये मोहब्बत को इबादत में बदलना चाहता था मैं
क्यूं तुझको दिल में महफूज़ रखना चाहता था मैं

फ़िर सजदे से मेरे हाथ गिर गए तो उठा न पाया
क्यूं राह के पत्थर को ख़ुदा बनाना चाहता था मैं

बिछड़ जाना तो एक रिवायत है इश्क़ की 'राज़'
क्यूं इस रस्म-ओ-राह को बदलना चाहता था मैं

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मलाल ये नहीं कि उसे इतने दिनों बाद देखा
मलाल तो ये है कि मेरी आँखें क्यों भर आई

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मेरे लिखे को पढ़ने की तेरी आरज़ू है मग़र
मेरे लफ़्ज़ों को सुनने को तेरी ख़्वाहिश नहीं

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शांत बैठा हूं और मन में तेरे ख़्याल चल रहे हैं
मन बैठ रहा और सिगरेट के बादल उड़ रहे हैं

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चार अल्फ़ाज़ क्या सुने मेरे अश'आर के इन हवाओं ने
कम्बख़त अपना आपा खो बैठीं और बारिश होने लगी

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शाम को थक जाते हैं दिन भर भागते हुए
यह तनख्वाह तो तन खा गई मेरे यारों का

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इतनी मेहनत से एक तख़्त न बना पाया मैं
ये जो लकड़ियां हैं इनसे एक ताबूत बना दूं

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