इस ज़माने से लड़ झगड़ कर, मुहब्बत के मयारों से बढ़ कर
एक शख्स को चाहा है कुछ यूँ, मैंने अपने दयारों से बढ़ कर-
मेरा इश्क़ ही मेरा खुदा है अब किसी और
खुदा के सजदे में मेरा सर नहीं झुकता-
मेरा मयार, मेरे वकार की रवायतों से बंधा है...।
मैं वो शख़्स हूँ जो मुसलसल मोहब्बतों के साथ खड़ा है...।।
📝AFसर©️-
जिनका मयार नहीं मिलता हमारे मयार से,
शायद वही लोग नहीं पढ़ते हमको प्यार से।
नहीं जान पाते हमारे लफ़्ज़ो की गहराईयों को,
हमें छोड़ जुड़ जाते हैं किसी और ही कतार से।
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सबको तलाश है
छाया किसी हरे भरे
छतनार पेड़ की
जिसके नीचे बैठकर
कुछ पल आराम
आ जाए
जिंदगी के ताप में
थोड़ा विराम आ जाए।
#जयन्ती
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कदम दर कदम आज़माईशें सवाल करती हैं
बेबाकी से जवाब दे तू उनका मयार ना देख-
दिलों की धुँध में कुछ खो गया है कहीं
तलाश फ़िर भी मेरी कभी ख़त्म नहीं हुई
सब्र ओ सबात की जब बात चली तो
मुझे मेरे मयार का कोई मिला ही नहीं-
मेरा मयार ऐसा है
मैं आवारा नहीं मिलती
मुझे तुम सोच कर खोना
मैं दोबारा नहीं मिलती-