Parv Deo   (©️Pavid_Poet)
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Joined 21 February 2021


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11 HOURS AGO

Where are you ?

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12 HOURS AGO

के आजकल इश़्क में वो पहले जैसी खुमारी नहीं।
जिसमें वफ़ादारी है, उसके पास साथ नहीं।
जिसके पास साथ है, उसमें वफ़ादारी नहीं।

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25 MAY AT 12:23

अब तो किसी को अपनी तकलीफ़ बताने में भी तकलीफ़ होती है,
क्योंकि लोग हमारी तकलीफ़े किसी और के साथ सांझा कर देते हैं।

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19 MAY AT 11:33



















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18 MAY AT 19:16

हर रोज़ मुसलसल मौत से मुलाकात,
मैं जी रहा हूँ या फिर मरा पड़ा हूँ।

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18 MAY AT 17:50

कई बार कोई शख्स मानसिक रूप से ठीक नहीं होता,
बावजूद के उसकी मदद की जाए उसके अपने ही यह बात कह देते हैं कि ये ढोंग कर रहा है इसको थप्पड़ मारो इसकी पिटाई करो।
कोई भी इंसान खुद से ये नहीं चाहता कि वोह ओरों की तरहं काबिल ना बने। मगर कभी-कभार परिस्थितियां उसके विपरीत ही रहती हैं।
जिस कारण वो चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाता।

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18 MAY AT 14:44

कभी-कभार आपके कहे कुछ शब्द मौत से भी ज्यादा तकलीफ देते हैं।
आप उन शब्दों को आप पर ऊधार समझिएगा क्युंकि आपके वो करम आप पर लौटकर वापिस जरूर आऐंगे।

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18 MAY AT 14:24

जो इंसान आपकी मानसिक स्थिति ही नहीं समझ पा रहा,
वो भला आपसे क्या ही दोस्ती करेगा।
वो आपको हर जगह पर हर तरहं से निगेटिव ही महसूस करवाऐगा।

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18 MAY AT 14:15

कुछ लोग बोलते हैं कि मैं जो लिखता हूँ,
मेरी बोलचाल की भाषा से मैं वैसा नहीं लगता हूँ।
उनका कहना है कि कलाकार कुछ और होते हैं।
और हमारे जैसे तुच्छ लिखने वाले नकली हैं,
अब ऐसे लोगों को मैं क्या ही बोलूं।
भगवान उनका भला करे, उनको शांती और सद्बुद्धि प्रदान करे।

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18 MAY AT 12:43

जो अंदर तक सबसे ज्यादा रोया होगा,
शायद वो ही सबसे ज्यादा खूबसूरत कविताएँ लिख पाया होगा।

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