पलते हैं करोड़ों पेट ,हमारी मंडी के अनाज से
रौंद देते हो जिनके हक को,तुम तख्त-ओ-ताज से
है पास तुम्हारे बड़ी फौज और है हथियार बहुत
फिर,क्यों घबरा गए कृषक-मुहिम के आगाज से
हो तुम दंभी बहुत और अड़ियल स्वाभाव के
क्यों कई कर्मचारी नाखुश है तुम्हारे काम-काज से
काट देंगे,तोड़ देंगे हंसिया-हथौड़ा से शोषण की जंजीर
लो हम किसान, ये ऐलान करते हैं आज से
सोच तुम्हारी है, हम सीमांत खेतिहरों के खिलाफ
आज न तो कल मुक्त होंगे,सामंतों के राज से
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